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ज़रा सोचो….!!

KADLI KE PAAT कदली के पात
KADLI KE PAAT कदली के पात
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ज़रा सोचो

zara socho

राम क़ृष्ण खुराना

आज गरीब और गरीब क्यों हो रहा है ज़रा सोचो,

मां की छाती से लिपटा बच्चा क्यों रो रहा ज़रा सोचो !

गरीबी और भूख में अपनों की आंखें भी बदल जाती हैं,

स्कूल जाने की उम्र में बचपन टोकरी ढो रहा ज़रा सोचो !



हर किसी में दूसरों को कुछ देने का जज्बा नहीं होता !

बिना गली, बिना मोहल्ले के कोई कस्बा नहीं होता !

किसी का दर्द बांटने में कितना सकून मिलता है,

ठिठुरता नंगा बदन ढकने से कम रुतबा नहीं होता !



एक जलता हुआ दिया कई और दिए जला सकता है !

एक पढा-लिखा इंसान कई लोगों को पढा सकता है !

मिट्टी में मिलकर एक बीज बनाता हैं लाखों बीज,

शीतल दरिया जल का, सबकी प्यास बुझा सकता है !



खूब मेहनत करो, भगवान करे बहुत कमाओ तुम !

कमाई का दसवां हिस्सा दान-पुन्न में लगाओ तुम !

लाखों अनाथ बच्चे हैं दर दर भटक रहे इस जहाँ में,

कुछ बच्चों को पालो, कुछ बच्चों को पढाओ तुम !

राम क़ृष्ण खुराना

426-ए, माडल टाऊन ऎक्टेंशन,

नजदीक कृष्णा मन्दिर,

लुधियाना (पंजाब)

99889-27450

khuranarkk@yahoo.in

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