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अनमोल बनाया जागरण जंक्शन ने -“Feedback”

KADLI KE PAAT कदली के पात
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अनमोल बनाया जागरण जंक्शन ने -“Feedback”

राम कृष्ण खुराना

ज़ागरण जंक्शन की ओर से मंच पर बिताए पलों के खट्टे-मीठे अनुभव सांझा करने के बारे में मेल मिली ! निःसंदेह यह एक प्रशंसनीय कार्य है ! इसी बहाने पुराने खिलाडी (लिखाडी) भी पुनः मंच से जुड जायेंगे ! क्योंकि वैसे तो आजकल लोगों के पास किसी से बात करने का भी समय नहीं है ! दुनिया मतलब की है ! किसी ने ठीक ही कहा है –

तुम्हें गैरों से कब फुरसत, हम अपने गम से कब खाली !

चलो बस हो चुका मिलना, न हम खाली न तुम खाली !!

यह मंच कई नए-नए प्रयोग करता रहा है और उसके बहुत अच्छे परिणाम भी निकले हैं ! दैनिक जागरण समाचार पत्र में भी नित नए प्रयोग हो रहे हैं जिससे एकरसता टूटती है और लेखकों व पाठकों को नई-नई चीज़ें पढने को मिलती हैं !

बात 2010 की है ! दैनिक जागरण में विज्ञापन पढा जिसमें जागरण जंकशन का सदस्य बनने तथा एक लेखन प्रतियोगिता (ब्लागस्टार) के आयोजन के बारे में लिखा था ! परंतु मैने उस समय इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया ! दो-तीन दिन बाद फिर वही विज्ञापन देखा ! तीसरी बार विज्ञापन देखने पर मेरा लेखक मन अपने आप को रोक नहीं सका और नेट पर जाकर जागरण जंक्शन की सदस्यता ले ली !

पहले-पहले पता नहीं था ब्लाग पर कैसे लिखा जाता है ! वो कहते हैं न कि “कैसे भेजूँ संदेश न जानू !” हमारे जमाने में कम्पयूटर मोबाईल नहीं थे ! रचनाएं हाथ से लिख कर या टाईप करके डाक द्वारा भेजा करते थे ! साथ में पता लिखा टिकट लगा लिफाफा लगाना पडता था ताकि रचना अस्वीकृत होने पर वापिस मिल सके ! फिर इंतज़ार करना पडता था रचना के प्रकाशित होने का ! पत्र पत्रिकाओं के पास रचनाएं बहुत आती थीं स्थान कम होता था ! गुणवत्ता और अपनी पालिसी आदि के हिसाब से वे छापते थे ! कुछ लोग पहले से जमे हुए थे ! नए लेखकों को कई बार बहुत समय लग जाता था !

18 मार्च 2010 को पहली रचना अंग्रेजी में इस मंच पर पोस्ट की ! एक बटन क्लिक करते ही रचना प्रकशित हो गई ! मज़ा आ गया  न टिकट लगाने का झंझट न डाक से भेजने की जहमत ! बटन के एक क्लिक ने कमाल कर दिया ! पहली प्रतिक्रिया श्री आशीश राजवंशी जी की मिली ! फिर निखिल झा जी की ! फिर तो सिलसिला शुरु हो गया !

मैं इस जागरण मंच का सदैव ऋणी रहूंगा ! यहां पर इतने अच्छे लेखक और पाठक मिले इतना बडा परिवार मिला जो अन्यत्र सम्भव न था ! इस मंच पर आकर साहित्य के समुद्र में डुबकी लगाने का मौका मिला ! दिल को छीलकर निकल जाने वाले व्यंग, ज्ञान वर्धक लेख, गुलाब की पंखुडियों की कोमलता लिए कवितांए, विज्ञान के नए-नए प्रयोग, ज्योतिष के उपाय, हिन्दी टाईपिंग का तोहफा ! सब कुछ एक ही छत के नीचे ! सब कुछ एक ही मंच पर !

मुझे सबका भरपूर प्यार मिला ! लेखकों में सर्व श्री मिहिर राज जी, अरविन्द पारीक जी, के एम मिश्रा जी, हमारे पंजाब के “पटियाला पुत्तर” राज कमल जी, एस पी सिंह जी, आर एन शाही जी, नीरज जी, रमेश बाजपाई जी, राजन मिश्रा जी, काजल कुमार जी, निखिल सिंह जी, शिवेन्द्र मोहन जी, आशुतोष जी, नवीन कुमार शर्मा जी, अजय कुमार झा जी, सुमित यादव जी, सचिन (आल राउंडर) जी, शार्देश जी, चातक जी, सन्नी राजन जी, दीपक जोशी जी, एस डी सिंह जी, एस पी सिंह जी, जैक जी, शिबु आर्य जी, जे एल सिंह जी, बैजनाथ पांडे जी, मनोरंजन ठाकुर जी, पीयूष पंत जी, तुफैल जी, आकाश तिवारी जी, अमित कुमार गुप्ता जी, भगवान बाबू जी, वाहिद जी, अबोध बालक जी, संजीव शर्मा जी, आर के पांडे जी, रशीद जी, विनय जी, धर्मेश जी, अश्विनी जी, ब्रजमोहन जी, श्री आशीश राजवंशी जी का स्नेह और सहयोग तो सदैव मिलता रहा है ! लेखिकाओं में सर्व सुश्री आदिति कैलाश जी, रौशनी जी, रीता सिंह जी, रजिया मिर्जा जी, सोनी गर्ग जी, शिवानी जी, सुमन जी, लता जी, नेहा जी, सीमा जी, डा0 दिव्या जी, रचना वर्मा जी, लता कमल जी, रिताम्भरा जी, अमिता जी, नेहा खन्ना जी, माला श्रीवास्तव जी, रजनी ठाकुर जी, तसमीना जी, विनिता शुक्ल जी, अलका सिंह जी, सुषमा जी, पूनम जी, अल्का गुप्ता जी, निशा मित्तल जी, दिप्ती अरोडा जी, प्रीती जी ! “कहाँ तक नाम गिनवायें” नाम तो और भी बहुत हैं लेकिन स्थानाभाव के कारण नहीं लिख पाया ! क्षमा प्रार्थी हूँ !

हमारी सुन्दर बिटिया आदिति कैलाश की प्रतिक्रिया पर हमने उसे बिटिया कहा तो उसने हमें “चाचा जी” कहकर सम्बोधन किया ! बस फिर तो सभी सदस्य मुझे “चाचा जी” कहकर ही बुलाने लगे ! इस प्रकार से मैं मंच पर “चाचा जी” के नाम से प्रसिद्ध हो गया !

कम्पयूटर पर हिन्दी में कैसे लिखते हैं पता नहीं था ! गूगल पर जाकर (English Transliteration) पर हिन्दी में टाईप कर कापी पेस्ट करके रचनांए भेजने लगा ! लेकिन यह बहुत ही असहज सा लगता था ! फिर नेट जरूरी था ! तभी प्रिय अरविंद पारीक जी का लेख छपा “अंग्रेजी की-बोर्ड से हिन्दी में टाईप करें !” बस हो गया काम ! उनके मार्गदर्शन में आफ-लाईन हिन्दी में टाईप करके लेख भेजने लगा और “कदली के पात” का सफर शुरु हो गया !

कहानी, व्यंग्य, लेख, कविता आदि तो मैं पहले से ही लिख रहा था और कई लब्ध-प्रतिष्ठ पत्र-पत्रिकाओं में मेरी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी थीं ! इस संसार को छोडने के पश्चात भी नाम चलता रहे यह इच्छा बचपन से ही रही है ! इस तृप्ति की पूर्ति भी लेखक-जीवन में अनुभव करता हूं ! पहली रचना (एक सत्य कथा) 1970 में दैनिक हिन्दुस्तान, दिल्ली से प्रकाशित हुई !

इसके पश्चात मेरी लगभग 40-50 रचनांए सारिका, रविवार, मिलिन्द, चुलबुला, कहानीकार, एकांत, नवभारत टाईम्स, हिन्दुस्तान, दैनिक ट्रिब्यून, विनीत, अरा सृष्टि, स्वर्णिम प्रकाश, युगेन्द्र, वीर अर्जुन, पंजाब केसरी, वीर प्रताप, शिवालिक सन्देश तथा पब्लिक सिंडीकेट द्वारा कई लब्ध प्रतिष्ठ पत्र-पत्रिकायों में प्रकाशित हो चुकी थीं ! कई रचनांए कहानी व लघुकथा संस्करणों में प्रकाशित ! तीन रचनांए आकाशवाणी (आल ईंडिया रेडियो) से प्रसारित ! कई रचनांए पुरस्कृत ! शिवालिक सन्देश में स्तम्भ लेखक के रुप में प्रतिसप्ताह व्यंग लेखन !

दैनिक जागरण के मंच – जागरण जंक्शन द्वारा प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार प्राप्त !  जागरण जंक्शन द्वारा ही सर्वोत्तम लेखन के लिए हाल आफ फेम में चयनित ! एक रचना लाल किताब के सिद्ध टोटकेवर्ष 2010 की सबसे ज्यादा पठित व सबसे ज्यादा टिप्पणी प्राप्त रचना चयनित !

Blogstar Contest – 1st Prize Winner

पोस्टेड ओन: 14 Jul, 2010 जनरल डब्बा में

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यहाँ पर देखें दैनिक जागरण समाचार पत्र में प्रकाशित चयनित विजेता ब्लॉग

http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=2&edition=2010-07-14&pageno=19

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हाँ तो मैं बता रहा था कि इस मंच पर सफर शुरु कर दिया ! पहले पहल तो बस अपनी मस्ती में लिखते जाते थे ! टाप ब्लाग तथा फीचर्ड ब्लाग के बारे में कुछ भी पता नहीं था ! बस सदस्यों के कमेंट्स और प्रशंसा मिल जाती थी मन प्रसन्न हो जाता था ! मैंने अपनी फोटो के साथ अपनी रचनायें फीचर्ड ब्लाग में देखी ! कुछ रचनायें टाप ब्लाग में भी नाचती सी दिखाई दीं ! कुछ कुछ समझ में आया तो हम कुछ सीरियस हो गए ! और अच्छा लिखने का प्रयास करने लगे ! गाडी पटरी पर आ गई ! टाप ब्लाग, फीचर्ड ब्लाग, बेस्ट ब्लागर ओफ दी वीक, ज्यादा चर्चित, ज्यादा पठित व अधि मूल्यित में रचनाएं आने लगीं ! खूब दिल खोलकर लिखा ! लोगों के दिल की बात सुनी, अपने दिल की बात कही ! क्योंकि हमने कहीं पढा था कि यारों के साथ दिल खोल कर बात करनी चाहिए  दिल में बात रखने से दिल के जाम हो जाने का खतरा पैदा हो जाता है ! फिर उसे खोलने के लिए डाक्टर औजार चलाते हैं ! किसी ने ठीक ही कहा है

अगर दिल खोला होता अपने यारों के साथ !

तो अब खोलना न पडता औज़ारों के साथ !!

तभी एक दिन जंक्शन की ओर से टाप-20 ब्लाग्स की सूची प्रकाशित हुई ! हाँ मैं बताना भूल गया था कि जागरण जंक्शन ने प्रतियोगिता के लिए 10 पुरस्कार रखे थे ! प्रथम पुरस्कार एक लैपटाप था ! दूसरा स्मार्ट फोन और तीसरा कैमरा ! बाकी के सात विजेताओं को प्रत्येक को 1100/- रुपये के वाउचर मिलने थे ! मंच की तरफ से कदाचित यह पहली प्रतियोगिता थी ! सभी उत्साह और रोमांच से भरे थे ! टाप-20 ब्लाग्स में अपना नाम देखकर खुशी हुई ! बधाईया लेने-देने का सिलसिला शुरु हुआ ! थोडी सी आस बन्धी ! तभी हमने एक हास्य रचना  “कौन बनेगा ब्लागपति” पोस्ट की ! उसी दिन जंक्शन की ओर से टाप-10 ब्लाग्स की घोषणा कर दी गई ! उसमें भी अपना नाम था ! तसल्ली हुई कि चलो कम से कम एक पुरस्कार तो मिलेगा ही ! फिर कलम को थोडा और कसा ! व्यंग की धार तेज की ! कहानियों में और जान डालने की कोशिश की ! गालीचाचा का बाउंसर (हास्य – व्यंग)आठवां अजूबा – हास्य-व्यंग,  “मुझको प्यार तुमसे है” ,  हम हिन्दी दिवस हैं मनाते, कच्चे धागे , मुझे जल्लाद बना दो, कि भाई सुनो…..(हास्य-व्यंग), भगवान शंकर – महाशक्ति, पापा तुम कहां चले गए ?, कोई गारंटी नहीं, अमीर बनने के अचूक नुस्खे, हाय प्यारी लगती है, मैं मुखौटे बेचता हूं – (हास्य-व्यंग),

माँ का दिल, रौशनी दिखती नहीं – (हास्य-व्यंग), सच्चा प्यार -(हास्य), आदमी की पूंछ – (हास्य-व्यंग), बस लिखते रहे ! लिखते रहे ! लिखते रहे ! किसी ने कहा है न कि “बिना लिबास आए थे इस जहाँ में, बस इक कफन की खातिर इतना सफर करना पडा !”

पता नहीं जागरण वालों को क्या सूझी कि उन्होंने सबसे पहले तृतीय पुरस्कार की घोषणा कर दी ! तृतीय पुरस्कार हमारे प्रिय अरविन्द पारीक जी को मिला ! अब तो दिल की धडकनें बढ गई ! हर कोई प्रथम पुरस्कार की कामना करने लगा ! लोग क्यास लगाने लगे ! गुपचुप-गुपचुप बातें बनाने लगे ! सभी के दिल में ब्लागस्टार बनने की लालसा थी लेकिन मंच पर लोग एक दूसरे को प्रथम पुरस्कार पाने का हकदार कहने लगे ! इसी चुहलबाजी में जागरण ने द्वितीय पुरस्कार भी घोषित कर दिया ! पुरस्कार मिला मंच के प्रसिद्ध व्यंगकार के एम मिश्रा जी को ! अब तो “जियरा धक-धक करने लगा” ! सोचा दो बडे पुरस्कार तो हाथ से निकल गए ! “रामा कृष्णा तुम तो गयो” ! एक हास्य रचना “रंग दे गुलाबी चोला” लिखी ! हमने देखा कि जागरण वाले 15-15 दिन के अंतराल पर यह घोषणाएं कर रहे थे ! दूसरे पुरस्कार के बाद हम पन्द्रहवे दिन का इंतजार करने लगे ! राम-राम करते 14 जुलाई का दिन भी आ गया ! सुबह लगभग सवा दस बजे कम्पयूटर आन किया तो….तो….तो सामने अपनी फोटो और नाम देखा !

1st Prize Winner….!  प्रथम पुरस्कार….!! प्रथम पुरस्कार….!!!


जागरण जंक्शन ने प्रथम पुरस्कार का अधिकारी मुझे बनाया था ! जागरण जंक्शन कोटि-कोटि नमन ! मैं जंक्शन का और पाठकों का कैसे शुक्रिया अदा करूँ ! एक सपना पूरा हुआ ! मेरी रचनाआंख नहीं लगती को सर्वश्रेष्ठ रचना का खिताब मिला ! मेरी रचना और फोटो दैनिक जागरण समाचार पत्र में भी छ्पने के कारण कई परिचितों व रिश्तेदारों के फोन आने लगे !

10 अगस्त 2010 दिन मंगलवार ! जागरण जंक्शन द्वारा मेल मिली ! जिसमें प्रथम पुरस्कार की बधाई और दैनिक जागरण के आफिस लुधियाना से लैपटाप प्राप्त करने के बारे में लिखा था ! मैं मेल पढ ही रहा था कि… ट्रिन ट्रिन…. ट्रिन ट्रिन….ट्रिन ट्रिन…. मोबाईल की घंटी बज उठी ! हैलो कहने पर दूसरी तरफ से फिर प्रथम पुरस्कार के लिए बधाई मिली, तथा लैपटाप लेने के लिए श्री मनीष चतुर्वेदी जी से मिलने की बात कही ! मैंने बातों ही बातों में पूछा कि आप कौन बोल रहे हैं ? उनका उत्तर सुनकर मैं स्तब्ध रह गया ! एकदम सन्न !!! उन्होंने कहा कि- “मैं जागरण जंक्शन का प्रोडक्ट हेड बोल रहा हूँ ! नाम… प्रभाकर शास्त्री !” मैं स्तब्ध रह गया ! कुछ देर तक तो मेरे मुँह से कोई बोल नहीं फूटा ! मैने सोचा कहां जागरण जंक्शन के प्रोडक्ट हेड और कहां मैं एक अदना सा कलम घसीटू (लेखक) ! वे स्वयं अपने दस जरूरी काम छोड कर मुझे बधाई दे रहे हैं …!!! साधुवाद ! उनसे काफी देर तक बात होती रही ! इसके पश्चात भी फोन पर और मेल द्वारा कई बार बात हुई ! मैंने उनको मंच के बारे में कई सुझाव दिए अधिकतर सुझाव उन्होंने लागू भी किए ! बहुत ही प्यारे सज्जन ! मीठी आवाज ! हर मेल का उत्तर अवश्य देते ! जरा सी भी बू नहीं ! ज़रा सी भी अकड नहीं ! इसे कहते हैं बडप्पन !

दूसरे दिन अपने बडे दामाद व उनके बेटे के साथ लुधियाना के जागरण के आफिस में मुनीष जी से मिला ! वहीं श्री सतीष मिश्रा जी (सीनियर जी एम, जागरण, पंजाब) से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ ! उनके कर कमलों से ही लैपटाप मिला ! नीचे फोटो में नीली टी-शर्ट में श्री विजय गुप्ता जी (न्यूज एडिटर), साथ में श्री सतीष मिश्रा जी जागरण के सीनियर जी एम पंजाब, जो मुझे लैपटाप दे रहे हैं ! उनके साथ मेरा दोहता और बाईं तरफ मैं ! श्री सतीष मिश्रा जी भी बडे ही सज्जन पुरुष हैं ! बडे अच्छे लेखक हैं ! सागर में गागर भर देते हैं ! उनके लेख “देखन में छोटे लगें घाव करें गम्भीर” की कहावत को चरितार्थ करते हैं ! मैंने उनके कई लेख पढे ! लेकिन मेरे विचार से उनका सर्वश्रेष्ठ लेख है – “मेरे अन्दर हैं श्री राम !” इस लेख को मैं कई बार पढ चुका हूँ ! जितनी बार भी पढता हूँ उतना ही आनन्द आता है, उतना ही रस मिलता है ! रामायण की तरह ! उन्होंने अपना अमूल्य समय निकाल कर मेरी कई रचनाओं पर प्रतिक्रिया भी दी ! कोटिश आभार !

Blogstar Contest Prize Photos

पोस्टेड ओन: 13 Aug, 2010 जनरल डब्बा में

1st Prize Winner – Mr. R K Khurana

Mr. R K Khurana being awarded the 1st Prize (A Dell Laptop) by Mr.Satish Mishra (Sr. G.M. Punjab) and Mr.Vijay Gupta (News Editor) at Dainik Jagran’s Ludhiana Office.

Copy of RK Khurana ji

जागरण जंक्शन हॉल ऑफ फेम

पोस्टेड ओन: 6 Sep, 2010 जनरल डब्बा में

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प्रिय ब्लॉगर्स,

जागरण जंक्शन पर आपके द्वारा निरंतर उच्च गुणवत्ता के ब्लॉग पोस्ट किए जाते रहे हैं जिसके लिए आपका आभार ! इन ब्लाग पोस्ट में कुछ पोस्ट ऐसे भी होते हैं जो याद रखने योग्य होते हैं ! ऐसे में जागरण जंक्शन ने बेहतरीन ब्लाग पोस्टों को सबके सामने लाने के लिए एक नया सेक्शन हाल आफ फेम” आरंभ किया है ! इस हाल आफ फेम ब्लाग में शामिल ब्लाग पोस्ट को हमारे सम्पादक मंडल के साथ-साथ अन्य सभी यूजर्स के द्वारा भी प्रशंसा प्राप्त हुई है !

जागरण जंक्शनके हॉल ऑफ फेम ब्लॉग निम्नलिखित हैं

user-176-96आओ अब लिखा जाए

by Vishnu Tripathi


विकास का सच

by Dhirendra Shrivastav

user-249-96मुर्दों को भी चाहिए पैसे!
by Ravikant Prasad
tn_RK-Khuranaआंख नहीं लगती

by R K Khurana

user-833-96रिक्शेवाले की जुबानी, देश की कहानी…

by K M Mishra

साल 2010 के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग

पोस्टेड ओन: 1 Jan, 2011 जनरल डब्बा में
प्रिय जागरण जंक्शन ब्लॉगर,

नव वर्ष की हार्दिक बधाइयां

साल 2010 ब्लॉग संसार के लिए एक नए अवसर और बेहतरी का पैगाम लेकर आया. जागरण जंक्शन ने ब्लॉगिंग की दुनियां में नए मानदंड स्थापित किए और ब्लॉग जगत के बेहतरीन ब्लॉगरों को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसी उद्देश्य से जागरण जंक्शन मंच पर वर्ष 2010 के सर्वाधिक पढ़े गए और सर्वाधिक टिप्पणी प्राप्त ब्लॉगों के नाम क्रमशः अलग-अलग प्रकाशित किए जा रहे हैं.

क्रमांक

वर्ष 2010 के सर्वाधिक पढ़े गए ब्लॉग

वर्ष 2010 के सर्वाधिक टिप्पणी प्राप्त ब्लॉग

1

लाल किताब के सिद्ध टोटके

लाल किताब के सिद्ध टोटके

2

एक झलक इतिहास के झरोखे से कॉमनवेल्थ गेम्स

न जन्मा है, न मृत्यु !

3

मस्ती की पाठशाला । (हास्य कविता)

बाबा रामदेव ..एक असलियत

4

बाबा रामदेव ..एक असलियत

जीने की कला (३)

5

Spell Bound at the Jagran Forum

अयोध्या इतिहास के आइने में

6

लडकी पटाने का मस्त तरीका

हमरे राहुल भइया भी न…गजबे हैं!

7

विकास का सच

क़तरनाक आतंकवादी एम्.ऍफ़.हुसैन

8

सानिया मिर्ज़ा की शादी – भाग – २ ( हास्य – व्यंग ) कवि की कल्पना

सजदा

9

आओ अब लिखा जाए

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है

10

प्रेयसी

सभी मर्द एक जैसे आखिर क्यों

“मोहबत हो गई जिनसे शिकायत उनसे क्या होगी ?” लेकिन शिकायत भी तो अपनो से ही की जाती है ! मंच की ओर से घोषणा की गई थी -“Jagranjunction.com के होम पेज पर मिलेगा आपके ब्लॉग को स्थान” अर्थात प्रथम, द्वितीय व तृतीय विजेतायों को मंच के होम पेज पर स्थान देने की बात कही थी परंतु मंच की ओर से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया ! मेरी रचना लाल किताब के सिद्ध टोटके वर्ष 2010 की ‘सर्वाधिक पढी गई और सर्वाधिक टिप्पणी प्राप्त’ रचना के रूप मे चयनित हुई थी ! उसी लेख को हूबहू चुराकर किसी कौशल पाण्डेय फोन नंबर 09310134773 ने 16 अगस्त को मंच पर ही पोस्ट कर दिया ! इसके लिए मैंने मंच पर अपनी शिकायत दर्ज कराई, कई मेल लिखीं, लेकिन मंच की ओर से कोई भी एक्शन नहीं लिया गया ! हाँ मंच के साथियों ने उन महाशय को बहुत लताडा ! कई सदस्यों ने उनको फोन करके इस बाबत खूब खरी-खोटी सुनाई ! 24 अगस्त 2010 को हमारे प्रिय भतीजे, मन्च के दबंग दारोगा, पटियाला पुत्तर राज कमल जी ने इस बारे में अपना एक लेख लिखा “खुराना चाचा जी की रचना के चोर …..(पंडित के नाम पर कलंक) पर लानत” !  सभी सदस्यों के सहयोग के कारण उन महाशय ने मुझसे फोन पर माफी मांगी और उस लेख को डिलीट कर दिया ! मैं राज कमल जी का और सभी सदस्यों का दिल से आभारी हूँ ! परंतु जंक्शन की ओर से सहयोग तो दूर कोई उत्तर भी नहीं मिला !

जागरण जंक्शन ने जितने भी पुरस्कार दिए हैं वे विजेताओं के घर पर दिए हैं ! जिस कारण से लेखकों को अपने साथियों से मिलने का, रुबरु होने का मौका नहीं मिला ! मैं जागरण जंक्शन से निवेदन करना चाहता हूँ कि वे एक समारोह दिल्ली में या किसी भी स्थान पर करवाएं जिसमें आज तक के सभी पुरस्कार प्राप्त लेखकों को व अन्य प्रतिष्ठित लेखकों को बुलाएं और सभी का एक दूसरे से परिचय कराये ! इस प्रकार से मिली सराहना से गर्व महसूस होता है और लिखने के लिए नई उर्जा मिलती है और हम और बडे लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास करते हैं ! दूसरी बात ! मंच के सभी विजेताओं की सबसे अच्छी रचनाएं, हाल आफ फेम में चयनित रचनाएं तथा अन्य लेखकों की सभी अच्छी रचनाओं को दैनिक जागरण समाचार पत्र के सभी संस्करणों में एक–एक कर लेखक की फोटो व परिचय के साथ प्रकाशित करें जिससे दैनिक जागरण के साढे पांच करोड पाठक पढ सकें और लाभ उठा सकें !

मैं पुनः बिना झिझक यह कहना चाहूँगा कि मैं जागरण जंक्शन का सदैव ऋणी रहूंगा ! जागरण जंक्शन बहुत बड़ा मंच है ! जो कुछ भी मुझे इस मंच से मिला है और कहीं भी सम्भव नहीं लगता था ! जागरण जंक्शन पुनः कोटि-कोटि नमन ! जागरण के लिए यह शेयर :

जब तक बिके न थे कोई पूछ्ता न था !

आपने खरीद कर हमें अनमोल बना दिया !!

राम कृष्ण खुराना

426-ए, माडल टाऊन एक्सटेंशन,

लुधियाना (पंजाब)

99889-50584

khuranarkk@yahoo.in

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