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तुम्हारा घर कहां है ?
राम कृष्ण खुराना
ठुमक-ठुमक कर, मचल-मचल कर,
मस्तानी चाल से चले आ रहे थे !
मैं-मेरा, तूं-तेरा के झंझटों का
अभी नहीं था ज्ञान !
दुनियादारी से दूर अपनी मौज में मस्त,
न दोस्ती की खबर न दुश्मनी का ध्यान !
मैने पूछा –नाम क्या है तुम्हारा ?
आंखे मटक के गर्दन झटक के बोला –
मैं हूं आसमान का चमकता तारा !
सारे जग से हूं मैं न्यारा,
सब लोगों की आंख का तारा,
नाम है मेरा ‘मां का दुलारा !’
मां की तुमको क्या बात सुनाऊं,
क्या मैं उसके गुण गाऊं !
मां की ममता है न्यारी,
लगती है वो जग से प्यारी !
मैं रोता वो रोती है, मैं सोता तो सोती है !
सूखे पे मुझे सुला कर, गीले पे खुद होती है !
छिटकती है वो मुझपर जान,
मेरी एक हंसी पर मां कुर्बान !
रब सब जगह नहीं रह सकता,
इसीलिए उसने मां बनाई !
धरती पर है स्वर्ग उतारा,
उसने मां की गोद सज़ाई !
मैंने पूछा बेटा तुम्हारा घर कहां है ?
झट से दोनो बाहों फैला कर,
बडे भोलेपन से उसने दिया उत्तर,
मेरा घर वहीं है,
जहां मेरी मां है !
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राम कृष्ण खुराना
ए-426, माडल टाऊन एक्सटेशन,
नज़दीक कृष्णा मंदिर,
लुधियाना (पंजाब) – 141002.
सम्पर्क : 9988950584
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