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प्यार में धोखा नहीं
Pyar mein dhokha nahi
राम कृष्ण खुराना
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ।
टूटे से फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परि जाय ॥
रहीम दास जी कहते हैं कि प्रेम के धागे को तोडो मत ! झटको मत ! चटकाओ मत ! प्रेम का रिश्ता बहुत नाज़ुक होता है ! प्रेम का धागा बहुत कच्चा होता है ! प्रेम का धागा बहुत मजबूत होता है ! कच्चा और मजबूत ? यह कैसा विरोधाभास ? यही प्रेम है ! इसे ही प्रेम कहते है ! प्रेम में बहुत ताकत होती है ! प्रेम में यमराज से पति के प्राण वापिस लाने की हिम्मत होती है और यह अगर एक बार टूट गया तो फिर आप चाहे जो भी कर लें यह जुडेगा नहीं ! कोई गोंद, कोई फेविकोल, कोई चिपकाव, कोई स्टिक काम नहीं आयगी ! यदि आप इसे जोडने की नाकाम कोशिश करेंगे तो इसमें गांठ पड जायगी ! यह धागे का स्वाभाव है ! धागे की विशेषता है ! एक बार टूट जाने पर जुडता नहीं ! अगर आप जबरदस्ती करेंगे तो इसमें जोड आ जायगा, गांठ पड जायगी ! गांठ, जो जीवन भर आपको खटकती रहेगी, सालती रहेगी, कचोटती रहेगी ! कहते है कि जब जलजला आता है और उस समय अगर किसी भवन में, किसी घर में भूचाल के कारण दरार आ जाती है तो आप कितनी भी कोशिश कर लें वो दरार भरी नहीं जा सकती ! आप जितना भी प्रयास कर लें वो दरार वैसी की वैसी ही रहेगी ! उसी प्रकार यह प्यार है ! जब एक बार दिल में विकार आ गया, बिगाड आ गया, जलजला आ गया, तूफान आ गया, भूचाल आ गया तो फिर उसमें प्यार का रंग दोबारा नहीं चढ पाता ! फिर वो प्यार की कम्बली काली हो जाती है जिस पर दूजा रंग नहीं चढता ! उस में वो चटक-मटक नहीं रह जाती ! वो कशिश नहीं रह जाती ! वो आकर्षण नहीं रह जाता ! वो खिंचाव नहीं होता ! क्योंकि उधो मन न भये दस बीस ! मन एक ही है और उसमे किसी के लिए या तो प्यार रह सकता है या नफरत ! एक म्यान में दो तलवारों की कल्पना नहीं की जा सकती ! जब दिल ही टूट गया तो जी कर क्या करेंगें ! प्रेम का धागा ही टूट गया तो जीवन तो व्यर्थ ही है ! जीवन का क्या अर्थ रह जायगा ? रसहीन जीवन जीने का क्या लाभ ? क्योंकि जब भी पुराने घावों पर हाथ आ जायगा तो वो घाव फिर तकलीफ देने लग जायेंगे ! रहीम दास जी इसी बात को इस प्रकार भी कहते हैं !
बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।
रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥
जो दूध बिगड गया ! जो दूध फट गया ! जो दूध खराब हो गया उसे आप चाहे जितना भी मथें उसमें से मक्खन नहीं निकलेगा ! उसकी दही नहीं जमेगी ! उससे खोया-पनीर नहीं बन पायगा क्योंकि उसका सार तो निकल चुका होता है ! उसकी मलाई तो गुम हो जाती है ! उसमें से फैट तो समाप्त हो जाता है ! इसी प्रकार से बिगडी बात बनाना बहुत ही मुश्किल होता है ! ज़बान से बात और कमान से तीर निकल जाने पर वापिस नहीं आते ! कबीर दास जी ने कहा है ऐसी बानी बोलिए मन का आपा खोए, औरन को सीतल करे आपहु सीतल होय ! बोलने से पहले सोचना जरुरी है ! सोच समझ कर ही बात करनी चाहिए ! जिससे प्रेम की डोर टूटे नहीं ! प्यार की चमक कम न हो ! रिश्तों में दरार न आए ! नाज़ुक बंधन बिखरे नहीं ! प्यार बना रहे ! मोहब्बत सलामत रहे ! कागा किसका धन हर लेता, कोयल किसको दे देती है ! अपने मीठे बोल सुनाकर, बस में सबको कर लेती है !
उधार प्रेम की कैंची है ! प्रेम में उधार नहीं चलता ! प्रेम में नकद ही चाहिए ! चेक भी नहीं चलेगा ! बैंक ड्राफ्ट भी मान्य नहीं है ! केवल कैश ! हार्ड कैश ! यानि प्रेम को हर रोज़ ताज़ा करना पडता है ! नया करना पडता है ! नया दिखाना पडता है ! नया जीवन देना होता है ! इसका जन्म दिन रोज़ रोज़ मनाना पडता है ! प्रतिदिन नया केक काटना पडता है ! नईं मोमबत्तियां जलानी पडती हैं ! हर रोज़ तालियां बजानी पडती हैं ! तभी प्रेम सफल हो पाता है तभी प्रेम सार्थक बन पाता है ! तभी प्रेम की तपिश मह्सूस होती है ! तभी प्यार की पींग बढती है ! तभी प्रेम परवान चढता है ! ग्रंथों में मुहब्बत का सिर्फ जिक्र होता है ! किताबों में केवल प्यार की बातें होती हैं ! लम्बें-चौडे लेख लिखे जाते हैं ! लेकिन प्रेम सिर्फ लफ्फाजी नहीं है ! इसको लफ्ज़ों में ब्यान नहीं किया जा सकता ! इसे तो बस महसूस किया जा सकता है ! पाया जा सकता है ! जिया जा सकता है ! चकोर काजू, बादाम, पिस्ता छोड कर अंगार खाता है ! भंवरा फूल के चारों ओर मंडराते हुए उसकी पंखुडियों में बंद हो जाता है ! परवाने दीपक पर कुर्बान हो जाते हैं ! प्रेम में स्वार्थ आ जाता है ! हम स्वार्थी हो जाते है ! हम चाहते हैं कि जो हमारा है वो सिर्फ और सिर्फ हमारा ही होकर रहे ! हमारे सिवा वो किसी ओर को न देखे ! उसके सिवा हम किसी ओर को न देखें ! मैं ही मैं देखूं तुम्हें पिया, और न देखे कोई ! वो मुझमें समा जाय, मैं उसमे समा जाऊं ! प्रेम की कोई सीमा नहीं ! प्रेम की कोई थाह नहीं ! प्रेम का कोई छोर नहीं ! जितना करो उतना कम ! प्यार में धोखा नहीं यही है प्रेम !
राम कृष्ण खुराना
9988927450
khuranarkk@yahoo.in
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