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मुझको प्यार तुमसे है

KADLI KE PAAT कदली के पात
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मुझको प्यार तुमसे है

राम कृष्ण खुराना

प्यार की परिभाषा बहुत कठिन है ! क्योंकि प्यार आदि काल से चला आ रहा है और सभी ने इसकी अलग अलग परिभाषा दी है ! सबने इसे अपने अपने हिसाब से समझा और समझाया   है ! सभी अपने अपने अनुभव के अनुसार प्यार की व्याख्या करते हैं ! आधे अक्षर से शुरु होने वाले इस शब्द में सारी दुनिया समाई हुई है ! प्यार शाश्वत है ! जब से यह दुनिया बनी है प्यार चलता आ रहा है ! जब तक यह दुनिया रहेगी प्यार कायम रहेगा ! इसका कोई अंत नहीं है ! हां प्यार के इज़हार करने का ढंग बदलता रहा है ! प्यार को जताने के तरीकों में फर्क होता रहा है ! समय और परिस्थियों के अनुसार “आई लव यू” कहने के तरीके बदलते रहे हैं ! लेकिन प्यार आज भी कायम है ! फिर भी प्यार को इस समाज ने कभी मान्यता नहीं दी ! शायद इसीलिए लोग प्यार चोरी चोरी ही करते हैं ! प्यार तो सभी करते हैं परंतु वही प्यार जब कोई दूसरा करता है तो उसका विरोध होता है ! चारों तरफ थू-थू होने लगती है ! लोग इसके अंजाम से डरने लगते हैं ! तभी किसी ने कहा है –

मद भरे जाम से डर लगता है,

प्यार के नाम से डर लगता है !

जिस का आगाज़ चोरी-चोरी हो,

उसके अंजाम से डर लगता है !!

दुनिया में शायद ही कोई शख्स ऐसा होगा जो प्यार के एहसास से अछूता होगा ! प्यार, चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो, एक ऐसा सुखद एहसास देता है  जिसे शब्दों में बयान कर पाना बहुत कठिन है ! जब प्यार होता है तो बस प्यार ही होता है ! प्रेम में आकंठ डूबे हुए लोगों के चेहरे पर खुदाई नूर आ जाता है !  फिर वो प्रेमी “जब प्यार किया तो डरना क्या” की भाषा बोलने लग जाते हैं ! उनके लिए प्यार खुदा बन जाता है ! प्यार इबादत हो जाती है ! “इश्क में जीना इश्क में मरना और हमें अब करना क्या” ही उनकी दिनचर्या बन जाती है ! फिर रूठने मनाने का सिलसिला शुरु होता है ! रुठने का भी एक अलग ही मज़ा होता है ! प्रियतम के मनाने से, उसके मनाने के ढंग से पता चलता है कि वो अपने साथी को कितना प्यार करता है ! इसीलिए बार बार रुठने को मन करता है ! आप भी देखिए –

सोई यादों को जगाये कोई,

दिल में फिर आग लगाये कोई !

जाने क्यों आज यह जी करता है,

रूठ जांऊ तो मनाये कोई !!

लेकिन इसका दूसरा रूप भी है ! रूठना इतना आसान नहीं है ! रूठने के लिए भी कोई अधिकार होना चाहिए ! रोने के लिए कोई कंधा होना चाहिए ! बिना अधिकार के आप रूठ जायेंगे तो आपको मनाने कोई नहीं आयगा ! यदि आपको किसी के आने की आस भी हो तो रूठने के लिए दिल भी तो होना चाहिए ! इसीलिए किसी ने कहा है –

हम रूठें तो किसके भरोसे रूठें ?

कौन है जो आयेगा हमे मनाने के लिए ?
हो सकता है तरस आ भी जाये आपको,

पर दिल कहाँ से लायें आपसे रूठ जाने के लिये ?

दुनिया की एक सम्पर्क भाषा है उसे “एसपरेंटों” कहते हैं ! परंतु उस भाषा को विश्व में लगभग 100 व्यक्ति ही जानते हैं ! परंतु प्यार की एक ही भाषा है जिसे दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति जानता है ! इस भाषा को सिखाने की जरुरत नहीं पडती ! इस भाषा को पढाने के लिए कोई स्कूल कोई पाठशाला नहीं है ! यह स्वाभाविक है ! सबके दिलों में बसा हुआ है ! प्यार में जबरदस्ती नहीं चल सकती ! किसी को प्यार करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता ! प्यार हो जाता है ! प्यार अपने आप होता है ! इसीलिए प्रेमी प्यार में सब कुछ न्यौछावर करने को तत्पर रहता है ! प्रेम में सब कुछ खो देना ही सब कुछ पाना है ! प्यार में खो जाने के बाद फिर सब कुछ उल्टा होने लगता है ! दिल बैचैन रहने लगता है ! और लोग कहने लग जाते हैं कि –

जब से दिल से दिल लगा है दिल नहीं लगता !

दिल लगने के बाद प्यार के ढंग निराले हो जाते हैं ! कहा भी है –

मकतबे इश्क का ढंग निराला देखा,

उसको छुट्टी न मिली जिसने सबक याद किया !

इसी बात को एक दूसरे कवि ने कुछ इस प्रकार कहा है –

खुशी जिसने खोजी वो धन  ले के लौटा,
हंसी जिसने खोजी चमन ले के लौटा !
मगर प्यार को खोजने चला जो वो,
न तन ले के लौटा न मन ले के लौटा ।!

मुंशी प्रेम चंद ने कहा है कि “जिस मनुष्य के हृदय से प्रेम निकल गया वह अस्थि-चर्म का एक ढेर रह जाता है !” सच्चा प्रेम नाप तौल नहीं करता !  यह सिर्फ देता जाता है ! जब किसी से प्यार हो जाता है तो वो ही सबसे अच्छा लगने लग जाता है ! कोई भी उसकी बराबरी नहीं कर सकता ! प्रेमी को अपने प्रिय में ही सारा संसार नज़र आता है  उसे और कोई इतना प्यारा नहीं लगता ! और वो कहने लगता है –

जिन्दगी की बहार तुमसे है,

मेरे दिल का करार तुमसे है !
यूं तो दुनिया में लाखों है हंसी,

मगर क्या करूं मुझको प्यार तुमसे है !

प्रेम अन्धा होता है ! इसी लिए वह स्पर्श से ही आगे बढता है ! कहते हैं कि नारी का शरीर ब्याज होता है ! प्रेम की पूंजी तभी सार्थक है कि ब्याज मिलता रहे ! लेकिन प्रेम भी खतरों का छत्ता होता है ! उसमें से शहद तो भाग्यवानों को ही मिलता है ! अधिकांश का तो बर्रों से ही पाला पडता है ! जिनको प्यार नहीं मिल पाता या जिनके सजना दूर चले जाते हैं उनके लिए समय काटना भी मुश्किल हो जाता है ! प्रेमी के दूर जाने पर प्रेमिका का सजने-संवरने का मन भी नहीं करता ! उसका हार-शिंगार सब धरा का धरा रह जाता है ! पंजाबी के गायक गुरदास मान ने पंजाबी में इस व्यथा को कुछ इस प्रकार कहा है –

टंग्गे रहदें किल्लियाँ  दे नाल परांदे,

जिन्ना दे राती यार बिछुडे !

अर्थात जिनके साजन बिछुड जाते हैं, और जो रात को अकेले ही सोने के लिए मजबूर होते हैं उनके परांदे, उनकी चोटियां खूंटी के साथ ही टंगी रह जाती हैं ! उनके मेकअप का सामान उनके डिब्बों में ही बंद हो कर रह जाता है ! उनके कपडे अलमारियों में ही पडे रह जाते हैं ! क्योंकि उनके सजने संवरने की इच्छा ही मर जाती है ! सजना के लिए सजने वालियां अब किसके लिए सजें ?  इस बिछुडन को एक प्रेमिका इस प्रकार व्यक्त करती है –

अब हम बिछुडे तो शायद ख्वाबों मे मिलें,

जैसे सूखे हुए फूल किताबों में मिलें !

यह ठीक है कि सूखे हुए फूलों की कोमलता समाप्त हो जाती है ! उनकी अपनी खुशबू खत्म हो जाती है ! लेकिन उन यादों की, एक साथ बिताए पलों की महक हमेशा हमेशा बनी रहती है ! और प्रेमी सारा जीवन उन्हीं यादों के सहारे बिता देते हैं ! लेकिन आजकल बेवफाई के किस्से आम हो गए हैं ! जीवन भर साथ निभाने का वादा करने वाले समय की धार देखकर बदल जाते हैं ! लोग पहले से ज्यादा समझदार हो गए हैं ! उनका कहना हैं –

मैंने प्यार किया बड़े होश के साथ !
मैंने प्यार किया बड़े जोश के साथ !
पर हम अब प्यार करेंगे बड़ी सोच के साथ !
क्योंकि कल उसे देखा मैंने किसी और के साथ !

बात परिभाषा से शुरु हुई थी ! मेरा मानना है कि प्यार को किसी एक परिभाषा में बांधना कठिन है ! हरि कथा कि तरह प्यार की परिभाषायें भी अनन्त हैं ! प्यार तो बहता हुआ एक सागर है ! जिसके बहने में ही प्यार की महत्ता है, सुंदरता है, प्राण हैं, जीवन है !

राम कृष्ण खुराना

9988950584

khuranarkk@yahoo.in

Khuranarkk.jagranjunction.com

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