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परमपिता को प्रणाम

KADLI KE PAAT कदली के पात
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परमपिता  को प्रणाम

राम कृष्ण खुराना

एक राजा था ! उसके राज्य में सब प्रकार से सुख शांति थी ! किसी प्रकार का कोई वैर-विरोध नहीं था ! जनता हर प्रकार से सुखी थी ! परंतु राजा को एक बहुत बडा दुख था कि उसकी कोई संतान न थी ! उसे अपना वंश चलाने की तथा अपने उत्तराधिकारी की चिंता खाए जा रही थी ! मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारे में जाकर माथा टेका ! कई तीर्थ स्थानों की यात्रा की ! परंतु कोई लाभ न हुआ ! संतान की कमी उसे दिन ब दिन खाए जा रही थी !

बहुत सोच विचार के पश्चात उसने अपने राज्य के सभी विद्वानों, पण्डितों को बुलवाया और उनसे संतान प्राप्ति का उपाय ढूंढने को कहा ! सभी विद्वानों ने विचार विमर्श किया ! राजा की जन्म कुंडली का गहन विश्लेषण किया ! अंत में वे सभी एक मत से एक निष्कर्ष पर पहुंचे !  उन्होंने राजा से कहा कि यदि कोई ब्राह्मण का बच्चा अपनी खुशी से देवता को बलि दे तो आपको संतान की प्राप्ति हो सकती है !

राजा ने विद्वानों की बात सुनी ! उसने सारे राज्य में मुनादी करा दी कि यदि कोई ब्राह्मण का बच्चा अपनी इच्छा से खुशी-खुशी बलि दे देगा तो उसके घर वालों को बहुत सा धन दिया जायगा !

राजा के राज्य में एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण था ! कई दिन फाके में ही गुजर जाते थे ! उसके चार लडके थे ! बडे तीन लडके तो अपना काम धंधा करते थे और अपने परिवार को आर्थिक सहयोग देते थे ! परंतु जो सबसे छोटा लडका था वो कोई काम नहीं करता था ! उसका सारा ध्यान हमेशा भगवान भक्ति में लगा रहता था उसका सारा दिन सदकर्म करते हुए भगवान का सिमरण करते ही बीत जाता था ! उसके पिता ने भी मुनादी सुनी ! सोचा यह लडका निठल्ला है ! कोई काम-धंधा भी नहीं करता ! इसको बलि के लिए भेज देते है ! राजा से धन  मिल जायगा तो घर की हालत कुछ सुधर जायगी !

ब्राह्मण अपने चौथे सबसे छोटे लडके को लेकर राजा के पास पंहुचा ! राजा ने उस लडके से पूछा – “क्या तुम बिना किसी दबाव के, अपनी मर्जी से, अपनी खुशी से बलि देने को तैयार हो ?”

“जी महाराज !” लडके ने बडी विनम्रता से उत्तर दिया – “यदि मेरी बलि देने से आपको संतान की प्राप्ति होती है तो मैं खुशी से अपनी बलि देने को तैयार हूं !”

राजा उसका उत्तर सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ ! सभी विद्वानों ने सलाह करके बलि देने के लिए शुभ मुहुर्त निकाला और राजा को बता दिया ! लडके के पिता को बहुत सारा धन आदि देकर विदा किया ! लडके को अतिथि ग्रह मे ठहराया गया ! हर प्रकार से उसका ख्याल रखा गया ! अंत में उसकी बलि देने का दिन भी आ गया !

राजा ने लडके को बुलाया और कहा – “आज तुम्हारी बलि दे दी जायगी ! अगर तुम्हारी कोई आखरी इच्छा हो तो बताओ हम उसे पूरी करेंगें !”

“मुझे कुछ भी नहीं चाहिए !” ब्राह्मण पुत्र ने कहा – “ बस मैं बलि देने से पहले नदी में स्नान करके पूजा करना चाहता हूं !”

राजा यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ और बोला – “ठीक है ! हम भी तुम्हारे साथ नदी तक चलेंगें !”

उस लडके ने नदी में स्नान किया ! फिर नदी किनारे की रेत को इकट्ठा किया और उसकी चार ढेरियां बना दी !  उसने चारों ढेरिओं की ओर देखा ! फिर एक ढेरी को अपने पैर से गिरा दिया ! फिर उसी प्रकार से दूसरी ढेरी को भी गिरा दिया ! फिर तीसरी ढेरी को भी गिरा दिया अब वो चौथी ढेरी के पास गया ! उसके चारों ओर तीन बार चक्कर लगाया ! हाथ जोडकर उसको माथा टेका ! उसकी वन्दना की और राजा के पास बलि देने के लिए आ गया !

राजा उसका यह सारा करतब बडे ही कौतुहल से देख रहा था ! पहले तो राजा ने सोचा कि बालक है ! रेत से खेल रहा है ! परंतु जब राजा ने देखा कि उसने चौथी ढेरी को हाथ जोड कर प्रणाम किया है तो राजा को इसका रहस्य जानने की इच्छा हुई ! राजा ने बालक से पूछा  “बालक, तुमने रेत की चार ढेरियां बनाई ! फिर उनमें से तीन को तोड दिया और चौथी को प्रणाम किया ! इसका क्या रहस्य है ?”

पहले तो बच्चे ने कोई उत्तर नहीं दिया ! परंतु राजा के दोबारा पूछ्ने पर लडके ने कहा – “राजन, आपने बलि के लिए मुझे कहा है ! मैं बलि देने के लिए तैयार हूं ! आप अपना काम कीजिए ! आपने इस बात से क्या लेना कि मैंने रेत की वो ढेरियां क्यों तोडी हैं !”

राजा को बालक से ऐसे उत्तर की आशा न थी ! राजा ने उससे कहा – “बालक, हमने तुम्हारे पिता को तुम्हारी कीमत देकर तुम्हें खरीदा है ! तुम हमारे खरीदे हुए गुलाम हो ! इसलिए हमारे हर प्रश्न का उत्तर देना और हमारी हर बात को मानना तुम्हारा धर्म बनता है !”

“हे राजन, जब आप जिद कर रहे हैं तो सुनिए !” लडके ने उत्तर दिया  – “जब कोई बच्चा पैदा होता है तो सबसे पहले उसके माता-पिता उसकी रक्षा करते है ! अगर वो आग के पास जाने लगता है तो उसको उससे बचाते हैं  ! उसकी हर प्रकार से रक्षा करने की जिम्मेवारी उनकी होती है ! लेकिन यहां तो मेरे पिता ने ही धन के लालच में मुझे बलि देने के लिए आपके पास बेच दिया ! इसलिए पहली ढेरी जो उनके नाम की बनाई थी वह मैंने ढहा दी !”

लडके ने आगे कहा – “दूसरी जिम्मेदारी राजा पर होती है अपनी प्रजा की रक्षा करने की ! आप ने मुझे अपनी संतान प्राप्ति के लिए बलि देने के लिए खरीद लिया ! तब आपसे क्या प्रार्थना करता ! इसलिए दूसरी ढेरी जो मैंने आपके नाम की बनाई थी वो भी तोड दी !”

“तीसरा भार जीवों की रक्षा करने का देवी-देवताओं का होता है !” बालक ने तीसरी ढेरी का रहस्य बताते हुए कहा – “लेकिन यहां तो देवता स्वयं ही मेरी बलि लेने को तैयार बैठा है ! तो इससे क्या प्रार्थना करनी ? इसलिए मैंने तीसरी ढेरी भी तोड दी !”

“लेकिन चौथी ढेरी का क्या रहस्य है ?” राजा ने पूछा !

“और अंत में सहारा होता है ! भगवान का ! इश्वर का !” बच्चे ने रेत की ढेरियों का रहस्य खोलते हुए कहा – “मेरी बलि दी जानी थी ! सो मैंने अंत में इश्वर से प्रार्थना की ! प्रभु की पूजा अर्चना करके उनसे रक्षा करने के प्रार्थना की ! अब वो ही मेरी रक्षा करेंगें ! वही होगा जो इश्वर को मंजूर होगा ! मैं बलि देने के लिए तैयार हूं !” इतना कहकर वो बालक राजा के पास जाकर सिर झुका कर खडा हो गया !

राजा उस छोटे से बालक की इतनी ज्ञान की बातें सुनकर सन्न रह गया !  राजा ने सोचा मैं इस बालक की बलि दे दूंगा !  ब्राह्मण हत्या भी हो जायगी ! फिर पता नहीं मुझे जो संतान प्राप्त होगी वो कैसी होगी ! प्रजा का ख्याल रखने वाली होगी या नहीं ! कहीं मेरा और वंश का नाम ही न डुबो दे ! यह बालक गुणवान है ! इश्वर भक्त है ! सब प्रकार से मेरे लायक है ! क्यों न मैं इसे ही गोद ले लूं और इसे ही अपना पुत्र बना लूं ! इतना विचार करते ही उसने उस बालक की बलि देने का कार्यक्रम रद्द कर दिया और उस बालक को गोद ले लिया ! कहते हैं उस बालक में अच्छे गुण होने के कारण उसने कई सालों तक राज्य किया और हर प्रकार से प्रजा की रक्षा की ! उसके राज्य में किसी को किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं था !

[एक सतसंग में सुनी कथा के आधार पर ]

राम कृष्ण खुराना

A-426, Model Town Extn.

Ludhiana (Punjab)

9988950584

लुधियाना

khuranarkk@yahoo.in

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