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डेढ लाख के हस्ताक्षर

KADLI KE PAAT कदली के पात
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डेढ लाख के हस्ताक्षर

(एक सत्य अपराध कथा)

राम कृष्ण खुराना

“आपके खाते में डेढ लाख रुपया कम है ! वो कहां गया ?”

“डेढ लाख रुपया ?” कीरतपुर के एस डी ओ का रंग उड गया !

“जी हां, आपने जो डेढ लाख रुपये के चेक काटे हैं उसकी कोई तफसील नहीं है !” एक्स ई एन ने तीखी नज़रों से देखते हुए पुनः प्रश्न किया !

“सर मुझे तो मालूम ही नहीं !” एस डी ओ ने कहा !

“तो और किसको मालूम है ?” एक्स ई एन साहब चीखे ! आवेश के कारण उसके चेहरे पर रक्त फैल गया ! होंठ पत्ते की तरह कांप रहे थे ! कुछ देर की भयावह चुप्पी के बाद वे फिर बोले – “अगर आपने शाम तक डेढ लाख रुपये का हिसाब न दिया तो मैं गबन के केस में आपको अन्दर करवा दूंगा !”

“गबन ?” एस डी ओ का मुंह खुला का खुला रह गया ! एस डी ओ ने रुमाल से अपने चेहरे पर उभर आया पसीना पोंछा

नंगल डैम बन चुका था ! भाखडा प्रोजेक्ट की हाईडल चैनल में नंगल सर्कल था और सर्कल के आधीन चांदपुर डिविज़न ! चांदपुर डिविज़न का एक सब-डिविज़न कीरतपुर भी था ! नहर बन कर तैयार हो गई थी ! अतः वहां पर निर्माण कार्य नहीं के बराबर ही था ! नहर की देख-रेख का भार कीरतपुर सब्-डिविज़न पर था ! सरकार की ओर से प्रोजेक्ट बनाने के लिए करोडों रुपये स्वीकृत हुए थे ! एस डी ओ को अधिकार था कि वह उचित कार्य के लिए रुपये खर्च कर सके ! जितना भी बिल बनता उसका चेक  काट दिया जाता था ! चेकबुक एस डी सी के पास ही रहती थी ! वह चेक भरकर एस डी ओ के हस्ताक्षर करवा लेता था और चेक स्टेट बैंक से कैश हो जाता था !

एक दिन एस डी ओ साहब कहीं बाहर गये हुए थे ! ए एस डी सी को किसी आवश्यक फार्म पर हस्ताक्षर करवाने थे ! उसने एस डी सी को कहा –“आज साहब छुट्टी पर हैं, मुझे एक फार्म पर सिग्नेचर करवाने थे ! कल इतवार है, अब बात परसों पर जा पडेगी !”

एस डी सी ने सिगरेट का धुआं नाक से छोडते हुए बडी लापरवाही से कहा –“अरे, छोड यार, साहब के हस्ताक्षर तो मैं ऐसे कर दूं कि खुद साहब भी न पह्चान पायें !”

“सच……!” ए एस डी सी ने आश्चर्य से कहा !

“और नहीं तो क्या झूठ ?” इतना कहकर एस डी सी ने एक कागज़ उठाया और झट से साहब के हस्ताक्षर कर दिए ! ए एस डी सी कभी एस डी सी और कभी उसके द्वारा किए गए हस्ताक्षर को फटी-फटी आंखों से देखने लगा ! उसने साहब के और कागज़ों पर किए गए हस्ताक्षरों से उसे मिलाया ! दोनों में अंतर कर पाना कठिन था !

बात आई गई हो गई ! एस डी सी पूर्ववतः अपने काम में लग गया ! परंतु भगवान को यह मंज़ूर न था इस घटना ने ए एस डी सी का दिमाग खराब कर दिया ! उसके अन्दर का शैतान जाग उठा ! वह इतवार को सारा दिन यही सोचता रहा ! अपने मन में कई प्रकार की स्कीमें बनाता रहा ! सोमवार को सुबह आफिस में आते ही उसने धीरे से एस डी सी को अपनी योजना बताई ! एस डी सी ने सुना तो वो आग बबूला हो गया ! उसने अपने जीवन में कभी ऐसी बात सोची भी न थी ! उसके दिमाग में अपने अस्सिटेंट के कहे शब्द बार बार चक्कर काट रहे थे ! एस डी सी का दिमाग चकराने लगा ! परंतु कुछ समय बाद जब उसने ठंडे दिमाग से सोचा तो उसको ए एस डी सी के बात सच जान पडी ! यहां पर तो जिन्दगी भर कलम घिसने पर भी इतनी कमाई नहीं हो सकती जितना रुपया पल भर में झोली में आ सकता था ! उसके दिमाग में योजनानुसार मिलने वाले रुपये घूमने लगे !

आफिस में बैठे-बैठे एस डी सी लखपति बनने के सपने देखने लग ! शानदार बंगला, नौकर-चाकर, चमकती कार की शान उसके मन में एक अज़ीब सा उन्माद भर रही थी ! उसकी कल्पना बंगले के प्रत्येक कमरे को आधुनिक सामान से सज़ा देख रही थी !

उस दिन दोनों का दिल काम में न लगा ! वे अपने मन में इस योजना को सफल होता देखते रहे ! इसी तरह से पांच-छ्ः दिन बीत गए ! समय के साथ साथ उनकी योजना की तैयारी पूरी होती गई ! एक दिन अच्छे मुहुर्त में उन्होंने अपनी तस्वीर में रंग भरना आरम्भ कर दिया !

सबसे पहले ए एस डी सी ने लम्बी छुट्टी ली ! वो अपने परिवार सहित दिल्ली चला गया ! वहां उसने एक बैंक में अपना खाता फर्जी ठेकेदार के नाम से खुलवाया ! उधर एस डी सी ने चैकबुक के बीच में से एक चेक काउंटर फाईल सहित निकाल लिया ! चेक में एक लाख रुपया उस फर्जी ठेकेदार के नाम से भर दिया ! चेक पर एस डी ओ के हस्ताक्षर स्वयं करके चेक को दिल्ली भेज दिया ! ए एस डी सी ने वो चेक अपने बैंक में फर्जी खुलवाए खाते में लगा दिया ! बैंक ने पास होने के लिए चेक स्टेट बैंक में फारवर्ड कर दिया ! चेक पास हो गया और उस फर्जी ठेकेदार के खाते में पैसे जमा हो गए ! उसके आठ दस दिन बाद फिर एस डी सी ने उसी प्रकार से दूसरा चेक निकाला और उसमें पचास हज़ार रुपये भरकर दिल्ली भेज दिया !

इस बार वो चेक स्टेट बैंक में गया तो हस्ताक्षरों में कुछ कमी रह जाने के कारण चेक “हस्ताक्षर नहीं मिलते” के नोट के साथ वापिस आ गया ! बैंक वालों ने फर्जी ठेकेदार से कहा के चेक डिस-आनर हो गया है ! अतः इसे कैश करवाने के लिए एस डी ओ से दोबारा वैरिफाई करवाना आवश्यक है !

ए एस डी सी ने रोपड पोस्ट मास्टर की मार्फत एक लिफाफे में वो चेक एस डी सी को भेज दिया ! (रोपड कीरतपुर से थोडी ही दूरी पर स्थित है) तथा अलग से एक पत्र द्वारा एस डी सी को इसकी सूचना दे दी ! साथ में यह भी लिख दिया कि वह चेक पर दोबारा हस्ताक्षर करके उसे भेज दे ताकि चेक कैश हो सके !

एस डी सी ने रोपड पोस्ट आफिस जाकर रजिस्ट्री छुडवा ली और एस डी ओ की मोहर लगा कर स्वयं ही हस्ताक्षर करके वैरीफाई कर दिया और कैश होने के लिए पुनः दिल्ली भेज दिया ! अंततः वह चेक भी पास हो गया !

महीना समाप्त होने पर बैंक ने डिविज़न को पूरा हिसाब भेज दिया ! जब डिविज़न में एकाउंट सेक्शन में हिसाब मिलाया गया तो डेढ लाख रुपये का अंतर आया ! छानबीन करने पर पता चला कि यह चेक कीरतपुर सब-डिविज़न से काटे गए हैं ! जबकि उस माह वहां पर कोई काम नहीं हुआ था !

डिविज़न के अधिकारी तुरंत हरकत में आ गए ! उन्होंने एक्स ई एन को कहा तो एक्स ई एन ने कीरतपुर के एस डी ओ को धमकी दी कि अगर शाम तक डेढ लाख रुपये का हिसाब न मिला तो उसे गबन के केस में जेल भिजवा दिया जायगा ! एस डी ओ अपने पांव तले की धरती खिसकती जान पडी ! वह परेशान सा अपने आफिस में आया ! उसी समय एस डी सी ने अपनी छुट्टी के लिए एस डी ओ को प्रार्थना पत्र दे दिया ! एस डी ओ का माथा ठनका ! चेक बुक भी तो एस डी सी के पास ही रहती है ! एस डी ओ ने एस डी सी के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा दी !

बस फिर क्या था ! एस डी सी के कहने पर पुलिस ने दिल्ली में ए एस डी सी को भी गिरफ्तार कर लिया ! पुलिस की थर्ड-डिग्री की मार के आगे ए एस डी सी भी अधिक देर तक न टिक सका ! उसने सब सच उगल दिया ! वह पुलिस इंस्पेक्टर को अपने घर ले जाकर अपने पिता से बोला –“पिता जी, इन्हें सारे रुपये दे दीजिए !”

वृद्ध पिता अपने पुत्र के साथ पुलिस को देखकर एकदम घबरा गया ! उसी घबराहट में उसके मुंह से निकला –“अभी के या सारे ?”

छिलके उतरने लगे ! भेद खुलने लगे ! बाद में मालूम हुआ कि यह सिर्फ डेढ लाख रुपये का ही घोटाला नहीं था ! ए एस डी सी का दिमाग पहले भी ऐसे ही कई घोटाले कर चुका था ! उसकी शादी एक ईरानी औरत के साथ हुई थी ! और उसके दो बच्ची भी थे ! जब उस औरत ने सुना कि उसके पति ने ऐसा घृणित कार्य किया है तो वह हथकडी में बंधे अपने पति के मुंह पर थूक कर बोली –“मुझे नहीं पता था कि मेरा पति इतना गिरा हुआ है ! क्या हिन्दुस्तानी ऐसे भी होते हैं ?”

इसके बाद वो स्त्री अपने दोनो बच्चों को साथ लेकर ईरान वापिस चली गई !

राम कृष्ण खुराना

9988950584

khuranarkk@yahoo.in

khuranarkk.jagranjunction.com

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