Menu
blogid : 875 postid : 143

जब नेता जी ने भाषण दिया

KADLI KE PAAT कदली के पात
KADLI KE PAAT कदली के पात
  • 82 Posts
  • 3239 Comments

जब नेता जी ने भाषण दिया

राम कृष्ण खुराना

कहते हैं कि नेता बनने के लिए पढने-लिखने की आवश्यकता नहीं ! डिग्री लेने की भी जरूरत नहीं ! अपने जीवन का बहुमूल्य समय स्कूल-कालेज की पढाई में नष्ट करने के लिए आप बाध्य नहीं ! हां आपको एक लम्बा-चौडा लैक्चर झाडना जरूर आना चाहिए ! फिर यदि किस्मत ने साथ दिया तो नेतागिरी सदैव आपके कमल चरणों में स्थान पाने के लिए व्याकुल रहेगी ! हमने तो ऐसे-ऐसे भी नेता देखे हैं जो अंगूठा लगाना भी नहीं जानते, जिन्हे संसार की गति का भी ज्ञान नहीं, और तो और अपना भाषण भी वो अपने निजि सचिव से तैयार करवाते हैं ! बलिहारी है ऐसे नेता जी की !
हमारे कस्बे में एक दूध पाऊडर की फैक्टरी का उदघाटन करने के लिए एक ऐसे ही नेता जी आ पंहुचे ! सुनने में आया है कि शिक्षा के नाम पर नेता जी केवल चार जमात ही फेल हैं ! बचपन में इन्होंने भी बहुत पापड बेले ! चौथी में फेल होने के बाद एक होटल में नौकरी करते रहे ! वहां से हटे तो मूंगफली बेचनी शुरू कर दी ! जब इससे भी दिल भर गया तो लगे तांगा चलाने ! कहते हैं कि इन्होंने तांगा कई वर्षों तक चलाया ! इसी बीच एक बार चुनाव में नेताओं को भाषण देते सुना तो नेता बनने की धुन सवार हो गई ! धीर-धीरे तांगे वालों के नेता बन गए मौका मिला तो कस्बे के प्रधान पद के लिए खडे हो गए ! किस्मत के धनी थे किसी प्रकार जोड-तोड करके प्रधान चुन लिए गए ! तब से तांगा चलाना छोड दिया ! तकदीर ने पलटा खाया और प्रधान से एम एल ए और फिर मंत्री बना दिए गए ! अब तो उदघाटन करने के लिए भी आ जाते हैं !
इस प्रकार भाग्य के बली नेता जी आज हमारे कस्बे में भी दूध की फैक्टरी का उदघाटन करने के लिए अपनी तशरीफ का टोकरा उठा लाए थे ! दूध की तरह सफेद कुर्ता, खद्दर की धोती और सिर पर गांधी टोपी ! जब नेता जी कार से उतरे तो उनका भव्य स्वागत किया गया ! रस्में-कस्में पूरी की गईं ! उसके पश्चात जो भाषण उन्होंने स्टेज पर दिया वो आपकी सेवा में ज्यों का त्यों प्रस्तुत है —
“सज्जनों ! बहुत ही हर्ष का विषय है कि आज मैं आप लोगों के बीच इस फैक्टरी का उदघाटन करने के लिए आया हूं ! वास्तव में सेठ जी ने इस कस्बे में फैक्टरी खोलकर बडा उपकार किया है ! यहां पर अभी तक कोई फैक्टरी नहीं थी ! इससे हमारे बहुत से बेरोज़गार भाईयों को रोज़गार मिलेगा ! इस कस्बे की वैल्यू ज्यादा हो जायगी !”
नेता जी अपने फूले हुए पेट पर हाथ फेरते हुए बोले –“भाईयों आप को मालूम ही होगा कि हमारे देश में बहुत से उद्योग खुल रहे हैं ! सरकार छोटी कार बनाने वालों को ऋण देने के लिए भी तैयार है ! हमारे देश ने इतनी तरक्की कर ली है कि यहां पर छोटी से छोटी व बडी से बडी हर चीज़ तैयार होने लगी है ! अब तो हम अपना सामान दूसरे मुल्कों को भी भेजने लगे हैं ! हमारे यहां ऐसी-ऐसी शानदार कारें तैयार होती हैं कि देखकर भूख मिट जाती है !” फिर नेता जी जरा सांस लेने के लिए रूके ! पसीना पोंछ कर फिर बोलना आरम्भ किया – “अभी हाल ही में खबर छपी थी कि हिन्दुस्तान में समुन्द्री हवाई जहाज भी बनने लगे हैं !”
नेता जी ज़रा द्रुत गति में भाषण दे रहे थे ! अतः किसी ने इस बात को समझा किसी ने नहीं समझा ! जिन्होंने समझा उनमें से कुछ तो मुस्करा कर ही रह गए (नेता जी की अक्ल पर तरस खाकर) तथा कुछ खिलखिला कर हंस पडे ! नेता जी ने हंसी सुनी तो समझा कि शायद जनता की समझ में यह बात नही आई ! सो वो समझा कर कहने लगे – “इसमें हंसने की कोई बात नहीं समुन्द्री हवाई जहाज का मतलब है पानी का हवाई जहाज ! मेरा मतलब है पानी में तैरने वाला हवाई जहाज !”
जनता के तो मारे हंसी के बुरा हाल था ! नेता जी ने बहुतेरा सिर खुजलाया ! नाक, कान, हाथ सब कुछ खुजा डाला परंतु जनता के हंसने का कारण न जान सके ! इसलिए अपना भाषण ज़रा ऊंची आवाज़ में देने लगे – “इतना ही नहीं हवा में उडने वाले हवाई जहाज भी बना लिए हैं और उन हवाई जहाजों की स्पीड भी बहुत ज्यादा है ! समुन्द्र वाला हवाई जहाज तो सिर्फ 20-25 किलोमीटर की रफतार से ही चलता है मगर हवा वाले हवाई जहाज की स्पीड 400 किलोमीटर तक है ! यहां पर जितने भी समुन्द्री हवाई जहाज तैयार होते हैं उन…………..!”

नेता जी अभी अपना वाक्य पूरा भी न कर पाए थे कि सामने से एक आवाज़ आई – “आप उदघाटन दूध की फैक्टरी का करने आए हैं कि समुन्द्री हवाई जहाज का ?” “लैक्चर तो इन्होंने जहाजों पर ही दे डाला है !” दूसरी आवाज़ उठी !
नेता जी जैसे सोते से जगे ! एकदम उन्हें ध्यान आया कि मैं तो यहां दूध की फैक्टरी का उदघाटन करने के लिए आया हूं ! उन्होंने मन ही मन अपने सेक्रेट्री को गाली दी ! इस साले को भी आज ही बीमार होना था ! असल में आज दुर्भाग्यवश उनका सेक्रेट्री बीमार हो गया था जिस कारण वो अपना भाषण तैयार न करवा सके ! इसलिए जो भी उनकी समझ में आया वही उल्टा-सीधा उगलने लगे !
दूध का नाम सुनते ही पहले तो नेता जी कुछ लडखडा गए परंतु तुरंत ही सम्भल गए ! भाषण के बारे में उन्होंने कच्ची गोलियां नही खेली थीं ! और कई स्थानों पर अपने पी ए द्वारा तैयार किए हुए भाषण दिए थे ! वे बोले- “दूध…..हां दूध……यानि कि मैं दूध की फैक्टरी का उदघाटन करने के लिए आया हूं !”
“तो आपको अब मालूम हुआ है ?” एक मनचला अपने को न रोक सका तो बीच में ही टपक पडा ! जनता को फिर हंसने का मौका मिल गया ! “नहीं…….नहीं..! मेरा मतलब है कि दूध……..दूध ना……..अरे हां…..याद आया ! दूध हमारे जीवन का सहारा है ! छोटे से लेकर बडे तक, अमीर से लेकर गरीब तक, यहां तक कि जवान मर्द, बूढे, बच्चे, औरतें सभी दूध पीते हैं ! दूध पीने से हमारे शरीर में शक्ति आती है ! बच्चा जब पैदा होता है तो दूध पीकर ही बडा होता है ! यहां तक कि जानवर के बच्चे भी दूध पीकर बडे होते हैं ! असलियत तो यह है कि अगर दूध न हो तो हम जिन्दा नहीं रह सकते ! दूध में कई विटामिन पाए जाते हैं ! डाक्टर लोग भी हमें दूध पीने की सलाह देते हैं !”
कुछ समय के लिए नेता जी यह देखने के लिए कि इस भाषण का जनता पर कुछ प्रभाव पड रहा है कि नहीं, रूक गए ! कुछ आश्वस्त से होकर फिर चालू हो गए – ‘दूध है तो यह दुनिया भी है वरना कुछ भी नहीं ! लेकिन आजकल कुछ लोग दूध में पानी मिलाने लग गए हैं ! यह बहुत ही गन्दी बात है ! परंतु कोई बात नहीं ! हमने इसका भी प्रबन्ध कर लिया है ! हमारे देश में दूध नापने के यंत्र तैयार होने लगे हैं ! जिससे यह मालूम हो जाता है कि एक सेर दूध में कितने किलो पानी मिलाया गया है ! इस तरह से हम उस दूध मिलाने वाले को पकड लेते हैं और उसे सज़ा देते हैं ! सज़ा में जेल तथा जुर्माना दोनो शामिल हैं ! आजकल तो जेलें भी कई बना दी गई हैं ! जो बडे कैदी होते हैं उनको हम सैंट्रल जेल में भेज देते हैं ! वहां पर उनसे मेहनत कराई जाती है ! उनसे खेती कराई जाती है ! और भी बहुत से काम कराये जाते हैं ! खेतों में उगी हुई सब्जियों को बाज़ार में बेच कर पैसे कमाए जाते हैं ! जिससे सरकार को बहुत आमदनी हो रही है ! इसी आमदनी से सरकार चल रही है ! जेल में लोगों को अच्छा नागरिक बनने की सलाह दी जाती है ! अब तो वह समय आ रहा है कि जब जेलों में भी मास्टर पढाया करेंगें ! जिनको और किसी स्कूल-कालेज में एडमिशन न मिले वो जेल में जाकर पढ सकता है !” इतना बोलकर नेता जी सोचने लगे कि अब इसके आगे क्या बोलूं ? कुछ कहने के लिए अभी उन्होंने मुंह फाडा ही था कि भीड फिर शोर करने लग गई ! नेता जी सम्भले ! जनता को शांत कराते हुए राग अलापने लगे — “देखिए……देखिए, आप लोग शोर न करें ! मुझे मालूम है…..यानि कि दूध …..हां…..मेरा मतलब है कि मैं अपने विषय से भटक गया था ! मन ही मन नेता जी ने अपने बीमार सेक्रेट्री को एक और गन्दी सी गाली दी ! परंतु फिर बोले – “यानि कि मैं आपको दूध के बारे में बता रहा था !” जनता कुछ शांत हुई तो नेता जी कुछ याद सा करते हुई बोले – “दूध भी कई प्रकार का होता है ! जैसे भैंस का दूध, गाय का दूध, बकरी का दूध, औरत का……….नहीं नहीं मेरा मतलब था कि और…….और हां-हां आ गया याद…. आ गया याद…. और पेडों से भी दूध निकलता है ! मुझे अच्छी तरह से याद है कि चौथी क्लास में हम पढते थे कि पेडों से भी दूध निकलता है जिससे हम रबड तैयार करते हैं ! यह एक खास तरह का दरख्त होता है ! इसकी छाल को काटने से इसमें से दूध निकलता है ! उसी दूध से हम रबड तैयार करते हैं ! यह रबड हमारे बहुत काम आता है ! जब बच्चा छोटा होता है तो वह रबड के खिलौनो से ही खेलता है ! रबड मिटाने के काम आती है ! रबड के टायर और टयूब बनते हैं ! मेरी कार के टायर व ट्यूब भी रबड के ही बने हैं !” इस बात से जनता एकदम हंस पडी ! नेता जी ने समझा शायद जनता मेरे भाषण से खुश होकर हंस रही है ! जनता के साथ-साथ नेताजी भी एक बहुत ही विचित्र सी धीमी आवाज़ निकाल कर हंसने लगे ! तभी स्टेज पर बैठे हुए एक सज्जन ने दूसरे के कान में धीरे से फुसफुसा कर कहा – “मालूम होता है नेता जी फिर भटक गए !”
अब आप इसे नेता जी का दुर्भाग्य कहिए या सौभाग्य कि नेता जी ने यह फुसफुसाहट सुन ली ! परंतु वह भी छटे ढीठ थे ! उसी समय गम्भीर मुद्रा बना ली ! दल-बदलू कि तरह एकदम बदल गए ! अपने भाषण की गति को बनाए रखा और कहने लगे – “तो यह सब उसी दूध की ही मेहरबानी है जो हमें इतना सारा रबड मिल जाता है ! दूध से खोया व बर्फी भी बनती है ! दूध पीने के काम आता है ! दूध पीकर बच्चे बलवान बनते हैं ! अगर आप मुझे पूछें तो मैं तो यही कहूंगा कि दूध में ही हमारे प्राण बसते हैं पुराने जमाने में श्री कृष्ण भगवान जी दूध की मटकियां ही फोड देते थे क्योंकि वे दूध की गंगा बहाना चाहते थे ! जिससे हर कोई पानी की बजाय दूध से ही नहाये और इस तरह से पानी की किल्लत भी खत्म हो जाय ! उनका मानना था कि ‘जल है तो कल है’ अब अंत में मैं सेठ जी का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं जिन्होंने इस कस्बे में दूध की फैक्टरी खोल कर हम सब पर बहुत बडा एहसान किया है !” इतना कहकर नेता जी ने अपने मन में फिर अपने सेक्रेट्री को सौ किलो की गाली दी और जल्दी-जल्दी स्टेज से कूद पडे जैसे कि किसी जेल से छूट कर भागे हों !

राम कृष्ण खुराना

9988950584

Ludhiana (Punjab)

https://www.jagran.com/blogs/khuranarkk

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh