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मेरा आपरेशन कर दो

KADLI KE PAAT कदली के पात
KADLI KE PAAT कदली के पात
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मेरा आपरेशन कर दो
एमरजेंसी का जमाना था ! देश में आपातकाल घोषित हो चुका था ! विपक्षी दल के सभी बडे-बडे नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया था ! कुछ कमज़ोर दिल के नेता एफिडेविट के रूप में लिखित माफी मांग कर जेल से बाहर आ गए थे ! सरकारी बाबुओं ने काम करना शुरू कर दिया था ! सरकारी काम के लिए लोग रिश्वत लेने से डरने लगे थे ! अब बाबू लोग अपनी टेबल पर अपना चश्मा और खुला हुआ पेन छोड्कर दो-दो घंटे कैंटीन में गप्पें हांकने के लिये नहीं जाते थे ! अधिकारी जनता से ऊंची आवाज़ में बात नहीं करते थे ! नारे लगाना और धरने देना तो लोग जैसे भूल ही गए थे ! प्रेस पर सेंसर लगा दिया गया था ! कोई भी समाचार पत्र या पत्रिका बिना सेंसर के छप ही नहीं सकती थी ! सरकार के खिलाफ बोलने की और लिखने की आज़ादी खत्म हो गई थी ! प्रत्येक काम सरकार कि मर्जी से होता था ! ट्रक व टैम्पों के पीछे शेयर की बजाय परिवार नियोजन का कोई न कोई नारा लिखाये बिना लाईसेंस का नवीनीकरण नही होता था ! लोगों द्वारा सरकार की नाज़ायज़ तरीके से दबाई हुई जमीन पर बने मकान-दुकान को बुल्डोज़रों की मदद से गिराया जा रहा था ! उन बुल्डोज़रों पर एक बोर्ड लगा होता था जिस पर लिखा होता था कि – “मैं अंधा और बहरा हूं !”

आपातकाल में सबसे ज्यादा जिस चीज़ का शोर था वह था परिवार नियोजन ! नसबंदी !!

“बस दो या तीन बच्चे, होते हैं घर में अच्छे”, “हम दो – हमारे दो” “खुशहाली का निशान – लाल तिकोन” (परिवार नियोजन का निशान लाल तिकोन था) जैसे नारों से सभी दीवारें पटी पडी थीं ! हर सरकारी दफ्तर, अस्पताल इन नारों के बिना ऐसे लगते थे जैसे मांग में बिना सिन्दूर के सुहागन ! बडे अधिकारियों को बकायदा टारगेट दे दिया गया था ! स्पष्ट निर्देश थे कि यदि वे नसबन्दी के केस का टारगेट पूरा नहीं करेंगें तो उनका इन्क्रीमेंट रोक दिया जायगा ! नौकरी से भी हाथ धोना पड सकता है ! लोगों को जीप-गाडियों में भरकर जबरदस्ती अस्पताल लेजाकर उनका आपरेशन कर दिया जाता था ! अपनी नौकरी बचाने ले लिए लोग पैसे देकर लोगों को परिवार नियोजन अपनाने के लिए मनाते थे ! हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था ! डाक्टरों को तो विशेष रूप से निर्देश था कि वे अधिक से अधिक आपरेशन करें ! हालत यह हो गई थी कि कोई मरीज़ साधारण दवा लेने भी अस्पताल में आता था तो डाक्टर कहते –“अच्छा तो आपको जुकाम है ? नाक से पानी बहता है ? खांसी भी है ? बुखार भी है ? तो…. आप ऐसा कीजिए…..कि आप अपना नसबन्दी का आपरेशन करवा लीजिए !”

लगता था जैसे सारा देश “लाल तिकोन” के निशान में सिमट कर रह गया है ! सुनने में आया था कि अपने केस बनाने के लिए डाक्टरों ने 70-75 साल के बूडों का भी आपरेशन कर दिया था समाचार तो ऐसे भी आए थे कि पैसे के लालच में कई कुंवारे लडकों ने भी आपरेशन करवा लिया था ! कहने का मतलब यह कि नसबन्दी आपरेशन के लिए लोगों को मनाने के लिए साम-दाम-दन्ड-भेद सब कुछ अपनाया जा रहा था !
ऐसे माहौल में एक दम्पति अस्पताल में पहुंचा ! युवक ने डाक्टर साहब से कहा-“डाक्टर साहब मेरा आपरेशन कर दो !”

छींका गिरा बिल्ली के भाग ! कहां तो लोगों को जबरदस्ती आपरेशन के लिए लाना पडता था कहां कुंआ खुद प्यासे के पास चल कर आया था ! डाक्टर साहब की बांछे खिल गईं ! वे एकदम कुर्सी से खडे हो गए ! उत्साहित होकर वे अपने कम्पाउंडर को आवाज़ देने ही वाले थे कि युवक की पत्नी बोल पडी – “नहीं डाक्टर साहब, आपरेशन इनका नहीं मेरा कर दो !”

“नहीं-नहीं डाक्टर साहब, यह तो औरत जात है ! इसे घर का सारा काम सम्भालना पडता है फिर बच्चों की देखभाल भी करनी पडती है ! यह तो वैसे ही कमज़ोर है ! आपरेशन के बाद और कमज़ोर हो जायगी ! आप मेरा ही आपरेशन कर दो !” युवक ने फिर कहा !

“अरे डाक्टर जी, यह मर्द हैं ! इनको गर्मी-सर्दी-बरसात हर वक्त कडी मेहनत मज़दूरी करनी पडती है ! इसी से हमारा घर चलता है ! अगर इन्हें कमज़ोरी आ गई तो हम रोटी कहां से खायेंगें ! आप तो बस मेरा ही आपरेशन कर दीजिए !” उसकी पत्नी ने फिर विरोध किया !

अज़ीब तमाशा था ! दोनों अपना आपरेशन करवाने के लिए अपने-अपने तर्क दिए जा रहे थे ! युवक अपनी जिद पर अडा हुआ था और पत्नी अपना आपरेशन करवाना चाहती थी ! उनका शोरगुल सुनकर स्टाफ के अन्य सदस्य भी वहां इकट्ठा हो गए ! सभी हैरान थे कि कहां लोगों को जबरदस्ती लालच देकर उनके घर के कई-कई चक्कर लगाकर आपरेशन के लिए मनाना पडता है और कहां यह दोनो आपरेशन करवाने के लिए लड रहे हैं !

बडी जद्दो जहद के बाद सभी ने युवक की बात मान ली और वे लोग उसे आपरेशन थियेटर ले जाने लगे तो युवती ने डाक्टर साहब को एक ओर लेजाकर समझाया – “डाक्टर साहब, यह मेरा पति तो नासमझ है ! इसे कुछ भी पता नहीं है ! इसका अकेले का आपरेशन करने से कुछ नही होगा ! मेरी शादी तो इससे हुई है ! परंतु इसके चार भाई और भी हैं ! दो बडे और दो छोटे ! मैं किस किस को आपरेशन करवाने के लिये मनाती फिरूंगी ! मैं औरत जात हूं मुझे तो इसी घर में रहना है ! आप मेरा आपरेशन कर दो तो सारा किस्सा ही खत्म हो जायगा !”

डाक्टर साहब के पास बोलने को कुछ भी नहीं रह गया था ! वे दो मिनट तक उस औरत का मुंह ताकते रहे फिर उसको लेकर आपरेशन थियेटर की ओर बढ गए !

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