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ऊंट का प्रतिशोध

KADLI KE PAAT कदली के पात
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ऊंट का प्रतिशोध

राम कृष्ण खुराना

ऊंट को जल्दी गुस्सा नहीं आता ! वह बहुत ही शांत प्रकृति का जांनवर है ! परंतु यदि ऊंट को अपनी प्रिया से सहवास करने से रोक दिया जाय तो वह अपने क्रोध को रोक नहीं पाता और जीवन भर के लिये उसका शत्रु बन जाता है ! फिर जब भी उसे मौका मिलता है वह अपना बदला अवश्य लेता है !

बीकानेर की एक रियासत में सतलुज से एक नहर निकलती है ! उसके किनारे पर कुछ बलोच रहते थे ! (ऊंट पालने वाले को बलोच कहते हैं ) उनके पास लगभग 40 ऊंट व ऊंटनियां थीं ! एक बार उस झुंड में से एक ऊंट को एक ऊंटनी से मिलने की इच्छा हुई वह एक ऊंट्नी के पीछे लग गया ! ऊंटनी उसको अपने पीछे लगा देख कर जंगल की ओर भागने लगी ! ऊंट भी पीछे हो लिया ! उस समय सभी बलोचों को सामान लाद कर कहीं ओर जाना था ! अतः एक बलोच ने जब देखा कि एक ऊंट जंगल की ओर जा रहा है तो वह उस ऊंट को डंडे मारकर और नकेल डालकर जंगल से पकड लाया ! ऊंट का गुस्से से बुरा हाल था ! उसने बलोच पर हमला करने का प्रयास किया परंतु अन्य बलोचों की सहायता से उस पर काबू पा लिया ! और सभी बलोच सामान लाद कर चल दिये ! किंतु वह ऊंट उस बलोच का जानी दुश्मन बन गया ! इसके पश्चात भी उसने उस बलोच पर आक्रमण करने की कोशिश की परंतु असफल रहा ! बलोच भी समझ गया कि वह उसका दुश्मन बन गया है ! वह उससे बचने लगा !

एक बार अचानक ही उस बलोच को किसी कारणवश पास के गांव में जाना पडा ! वह अपने घर से निकल कर पगडंडी पर जा रहा था ! न मालूम कैसे ऊंट ने बलोच को अकेला जाते हुए देख लिया ! उसकी आंखों से चिंगारियां निकलने लगीं ! अपने शिकार को अकेले जाते हुए देखकर वह ऊंट उसके पीछे लग गया ! बलोच ने जब ऊंट को अपने पीछे छंलांग लगाते हुए देखा तो उसके होश उड गए ! घबराकर बलोच ने सामने मैदान में ही भागना शुरू कर दिया ! परंतु कहां तक ? ऊंट की तो टांगे लम्बी होती हैं !

सौभाग्य से आगे जाकर बांई ओर बलोच को एक गड्ढा दिखाई दिया ! गड्ढा तीन-चार फुट गहरा था और उसमें घास आदि उगी हुई थी ! अपने बचाव का और कोई साधन न पाकर बलोच ने उसी गड्ढे में छलांग लगा दी ! उस गड्ढे में बलोच अभी अपने छिपने का प्रबन्ध कर ही रहा था कि उसने वहां पर उससे भी भंयकर नज़ारा देखा ! जिसको देखकर उसका सारा शरीर कांपने लगा ! उसने देखा कि गड्ढे में एक काला-स्याह नाग फन फैलाए खडा है ! उस के फन के ऊपर एक छोटा सा पतला सा सांप बैठा हुआ है ! दोनो ही सांप देखने में भंयकर प्रतीत हो रहे थे ! बलोच को काटो तो खून नहीं ! उसकी दशा बहुत ही दयनीय हो गई थी ! आगे कुंआ पीछे खाई ! यदि बाहर आता है तो ऊंट नहीं छोडेगा और गड्ढे में रहकर इन सांपों से बचना मुश्किल !

पर प्रभु की लीला न्यारी है ! उसी समय ऊंट भी बलोच को ढूंढता हुआ वहीं पर आ गया ! ऊंट अभी वहां पर खडा भी न हो पाया था कि छोटा सांप जो कि बडे नाग पर बैठा हुआ था, उडा और उसने ऊंट के माथे पर डंक मार दिया ! सांप इतना जहरीला था कि डंक लगते ही ऊंट जमीन पर गिर कर छटपटाने लगा और कुछ ही क्षणों में ऊंट वहीं पर ढेर हो गया ! थोडी देर तक तो बलोच अवाक सा सारा तमाशा देखता रहा ! जब ऊंट के शरीर में हलचल बिलकुल बन्द हो गई तो कुछ समय पश्चात बलोच साहस करके उस गड्ढे से बाहर निकला ! इस बीच दोनो सांप उड कर न जाने कहां चले गए !

उधर दूसरे बलोच तथा अन्य लोगों ने भी उस ऊंट को बलोच के पीछे भागते हुए देख लिया था ! वे सभी लाठियां लेकर उस बलोच को बचाने के लिये उस गड्ढे के पास आ गए ! वहां ऊंट को मरा पाकर सभी लोग इकट्ठे हो गए ! उस बलोच ने हांफते हुए बताया कि किस प्रकार सांप ने ऊंट को डसा और वह बच गया ! बलोच को जिन्दा बच जाने का घमंड होने लगा ! उसने उस मरे हुए ऊंट को एक गन्दी सी गाली दी और उसके पेट में जोर से लात मारी !
अरे, यह क्या ? अभी वह बलोच अपनी बात पूरी भी न कर पाया था कि वह भी उसी प्रकार से छटपटाने लगा ! जो पैर उसने ऊंट के पेट में मारा था वह मानो धंस ही गया बलोच की जीवन लीला भी वहीं समाप्त हो गई ! वास्तव में जिस सांप ने ऊंट को काटा था वह इतना जहरीला था कि उतनी ही देर में ऊंट का सारा शरीर गल गया और जहर सारे शरीर में फैल गया ! जब बलोच ने ऊंट को पैर मारा तो बलोच के शरीर में भी विष चढ गया ! सभी ने विचार-विमर्श करके उनको छुआ तक नहीं और वहीं पर लकडियां लाकर उन्हें जला दिया !

राम कृष्ण खुराना

9988950584

khuranarkk@yahoo.in

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