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माँ का दिल

KADLI KE PAAT कदली के पात
KADLI KE PAAT कदली के पात
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माँ का दिल

बात पुरानी है !  राजा-महाराजाओं का जमाना था !  एक बलोच (ऊंट पालने वाले को बलोच कहते हैं) की एक ऊंटनी गुम हो गई !  काफी खोज-बीन के बाद उस ऊंटनी का सुराग लगा ! ऊंटनी एक सेठ के घर बन्धी थी !  बलोच ने सेठ से ऊंटनी वापिस करने को कहा !  सेठ ने साफ इंकार कर दिया !  वह उसे अपनी ऊंटनी बताता था !

बात बढ गई !  लडाई – झगडे की नौबत आ पहुंची !  लोगों के समझाने-बुझाने पर दोनो राजा के दरबार में जाने को राजी हो गए !  भरे दरबार में मुकदमा शुरू हुआ !  बलोच कहता था ऊंटनी मेरी है और सेठ कहता था ऊंटनी मेरी है !

राजा ने बलोच से पूछा – “तुम कहते हो कि ऊंटनी तुम्हारी है !  तुम्हारे पास इस बात का कोई सबूत है ?”

बलोच बडे अदब से एक कदम पीछे हट कर, झुक कर बोला – “जनाब, एक सबूत है !”

“क्या ?” – सेठ ने घूरा !

“क्या ?” – राजा ने पूछा !

“महाराज, अगर ऊंटनी को मारकर इसके दिल को चीरकर देखें तो उसमें आपको तीन सुराख मिलेंगे !”  बलोच ने उत्तर दिया !

राजा हैरान !  सेठ हैरान !  दरबारी हैरान !  सभी हैरान !

“यह तुम कैसे कह सकते हो कि इसके दिल में तीन सुराख हैं !”  राजा ने आश्चर्य से पूछा – “तुम ज्योतिष विद्या जानते हो क्या ?”

“महाराज” – बलोच ने बडे अदब से उत्तर दिया –“जब किसी मां का बेटा भरी जवानी में मर जाता है तो उस मां के दिल में एक सुराख हो जाता है !  जो जिन्दगी भर नहीं भरा जा सकता !  इस ऊंटनी को मैंने बचपन से पाला है !  इसकी आंखों के सामने इसके तीन बेटे एक के बाद एक भगवान को प्यारे हो गए !  इसलिए इसके दिल में तीन सुराख अवश्य मौजूद होंगे !  मां का दिल जो ठहरा !”

दरबार में सन्नाटा-सा छा गया !  सभी हैरानी से एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे !

कहने की जरुरत नहीं कि राजा ने सेठ की सफाई सुनने की भी आवश्यकता न समझी !  ऊंटनी बलोच के हवाले करने का हुक्म दे दिया !

राम कृष्ण खुराना

998850584

khuranarkk@yahoo.in


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