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अभी तो मैं जवान हूं – (हास्य-व्यंग)

KADLI KE PAAT कदली के पात
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अभी तो मैं जवान हूँ

राम कृष्ण खुराना


पता नहीं आजकल के छोकरों को क्या हो गया है ?  बूढों को कुछ समझते ही नहीं !  एक जमाना था कि लोग बुजुर्गों को ढोल में बन्द करके साथ ले जाते थे !  पहले लोग कहा करते थे कि सयाने आदमी की बात भी सयानी होती है ! प्रत्येक कार्य को करने से पहले दस बार बूढों की सलाह ली जाती थी !  किसी बुजुर्ग के कहे गये वाक्य को लोग अमृत समझ कर पी जाते थे !  क्या मजाल की बडे-बूढों की इच्छा के विरुद्ध कोइ पत्ता भी हिल जाय !

आखिर इन युवकों को हमने ही तो पैदा किया है !  हमने ही तो पाला-पोसा और युवा कहलाने योग्य बडा किया है !  क्या हुआ जो जरा सी हमारी कमर टेढी हो गई ? क्या हुआ अगर हमारे बाल सफेद हो गये, आंखे अन्दर को धंस गई और गाल पिचक गये ?  दिल तो अभी भी जवान है !  उदय भानु हंस ने भी कहा है —

तुम प्रेम को जीवन की निशानी समझो,

जो बह्ता रहे उसको ही पानी समझो !

जब ह्रदय बुढापे में भी रंगीन रहे,

तुम ऐसे बुढापे को जवानी समझो !!

वैसे भी हम जवानों से किसी बात में कम नहीं !  इन लोगों से अधिक स्कैन्ड्ल करने का हमें अनुभव है !  आज कल के इन छ्छुन्दर  मुंहे लोगों से अधिक हमने सुरा व सुन्दरी के साथ रातें रंगीन की हैं !  लोगों से ली गई रिश्वत से स्विट्ज़रलैंड के बैंको में हमारे खाते अभी तक चल रहे हैं !  परंतु इन छोकरों को तो इन कुकर्मों को दबाने व छिपाने की भी अकल नहीं है !  हम भी यह सब काम करते थे पर क्या मज़ाल कि किसी को कानो-कान खबर भी हो जाए !  क्योंकि —

है पाप अगर पाप को प्रत्यक्श करे,

परदे में किया गया पाप कोई पाप नहीं !

परंतु आजकल तो हवा ही उल्टी चल गई है !  हर जगह युवकों की ही बात हो रही है !  चुनाव में टिकट दो तो युवा को !  मंत्री पद दो तो युवा को !  नेतृत्व दो तो युवा को !  युवा ना हो गये मथुरा के पेडे हो गये !  लेकिन इन युवाओं को “युवा-ह्रदय और युवा-सम्राट” की उपाधि देकर हमीं ने बिगाडा है !  जब यह युवा हवाई-जहाज पर चढने लगते हैं तो बूढे युवकों के पैरों की तरफ ताकते नीचे खडे हो जाते हैं कि कब इन युवायों की चप्पल गिरे और कब हम दौड कर उसे उठाकर पकडाने का सौभाग्य प्राप्त करें !  हम बुढों ने ही इन्हें बिगाडा है !

लेकिन कोइ बात नहीं, देर आयद दुरस्त आयद !  अब हम भी सम्भल गये हैं !  हमने भी घाट-घाट का पानी पिया है !  हमने जीवन के 70 पतझड देखे हैं !  जय प्रकाश नारायण भी तो 70 साल के युवा थे !  जिन्होंने सारे युवाओं को चूहों की तरह अपने पीछे लगा लिया था !  अतः  –

बच के वार करना मुझ पर मैं भी तीर कमान हूं ,

सत्तर का हुआ तो क्या हुआ, अभी तो मैं जवान हूं !

राम कृष्ण खुराना

9988950584

khuranarkk@yahoo.in

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