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तीन इच्छाएं
मंच सजा हुआ था ! पंडाल में कुर्सीयां लगी हुईं थीं ! जनता मेरी जय-जयकार कर रही थी ! खुराना साहब की जय ! प्रधान मंत्री जी की जय ! खुराना साहब की जय ! खुराना साहब की जय ! प्रधान मंत्री जी की जय ! खुराना साहब की जय !
मेरे गले में फूलों के हार झूल रहे थे ! चारों तरफ ख़ुशी का माहोल था ! मेरे लिए विशेष रूप से एक कुर्सी सजी हुई थी ! मैं उस पर जाकर बैठ गया ! सभी मेरी जय-जयकार कर रहे थे !
तभी एक सुन्दरी हाथ में माईक पकडे स्टेज पर आई और माईक मेरे सामने लाकर बोली — ” सर, आप प्रधानमंत्री बन गए हैं ! देश को आपसे बहुत उम्मीदें हैं ! यदि हम आपसे कहें की आप अपनी तीन इच्छाएं बताएं तो आप क्या कहेंगे ? ”
“ठीक है” — मैं ने उत्तर दिया –” मेरी पहली इच्छा है की मेरा देश सचमुच महान देश बने ! सारी दुनिया इस देश का अनुसरण करे !
मेरी दूसरी इच्छा है की इस संसार से दुःख, रोग, और गरीबी दूर हो जाए !
और मेरी तीसरी इच्छा है की मेरे देश से भ्रस्टाचार बिलकुल जड़ से ही समाप्त हो जाए ! ”
पूरे पंडाल में तालियाँ गूँज उठी !
और मेरी नींद खुल गयी !
मैंने तो यह सपना देखा था ! परन्तु आप तो जग रहे हो !
में आपसे जागृत अवस्था में पूछना चाहता हूँ की यदि आपसे यह पूछा जाए की आपकी तीन इच्छाएं क्या हैं तो आप क्या जवाब देंगें !
(कृपया सोच कर इसका जवाब अवश्य दें !)
राम कृष्ण खुराना
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