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माँ की मर्जी

KADLI KE PAAT कदली के पात
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माँ की मर्जी

एक गाँव में एक मरासी रहता था ! उसके दो लड़के थे ! पत्नी जितनी सुंदर थी उतनी ही लड़ाकू व तेज ! घर की हालत बहुत पतली थी ! जिस कारण पति-पत्नी में रोज़ ही तकरार होती रहती थी ! नौबत तूं -तूं में-में से गाली-गलौच पर उतर आती ! बस फिर मरासी ताबड़-तोड़ पत्नी को लात घूसे मारने लगता ! तंग आकर पत्नी गाँव के एक दरजी के घर “बैठ” गई ! परन्तु अपनी आदत का क्या करती ? झगडालू प्रवृति के कारण वहां भी जयादा दिन न टिक सकी ! साल बीतते-बीतते पास ही के गाँव के एक राजपूत के साथ भाग गई ! अपने लड़कों को वो साथ ही ले गई !

संध्या के समय उसके दोनों लड़के गाँव में घूमने की गरज से निकले ! दो नए लड़कों को अपने गाँव में देखकर गाँव के एक चौधरी ने पूछ लिया – “भाई, तुम लोग कौन हो ? किसके यहाँ आये हो ? कौन जात हो ? किसके लड़के हो ?

चौधरी के इतने सारे प्रश्न सुनकर पहले तो वो चुप रहे परन्तु चौधरी के दोबारा वही प्रश्न दोहराने पर उनमे से बड़े लड़के ने उत्तर दिया —
“मरासी के घर में जनम लिया था,
फिर हम हो गए दरजी !
बड़ी मुश्किल से राजपूत हुए हैं,
आगे माँ की मर्जी !”

राम कृष्ण खुराना

9988950584

khuranarkk@yahoo.in

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